प्रिय नागरिक,
महिलाओं के विरुद्ध अपराध में सबसे बड़ी समस्या है कम अपराध सिद्धि दर और सबूतों का अभाव | नए अपराधियों को शायद ही कभी सजा होती है, जिसके कारण उनका हौंसला बढ़ जाता है और वे बाद में बड़े अपराध करते हैं और उनके आस-पास दूसरे लोगों का भी बढ़े अपराध करने का हौंसला बढ़ जाता है | इन समस्याओं को कम करने के लिए, हमें नागरिक-प्रामाणिक सिस्टम की आवश्यकता है, जिनके द्वारा नागरिक सच और झूठ का स्वयं पता लगा सके और बलात्कार, यौन अत्याचार और झूठी शिकायतें को रोक सकते हैं |
यदि आप भारत में बलात्कार, यौन अत्याचार और झूठी शिकायतें को कम करना चाहते हैं, तो अपने सांसद को एस.एम.एस. या ट्विट्टर के द्वारा ये आदेश भेजें - :
" Kripya Yaun Atyachar, Jhuthi skikayatein rokne ke draft ka badhava va maang website, niji bil aadi dwara karein. Draft - tinyurl.com/SurakshitMahila varna apko aur apki party ko vote nahin karenge. Kripya smstoneta.com jaise public sms server banayein jismein logon ki SMS dwara raay unke voter ID ke saath sabhi ko dikhe"
अपने सांसद को एस.एम.एस. भेजने के अलावा, अपनी मांग का प्रमाण अपने वोटर आई.डी. के साथ, पब्लिक एस.एम.एस. सर्वर पर दिखाएँ 3 एस.एम.एस. भेज कर | यदि आप बलात्कार, यौन अत्याचार और झूठी शिकायतों को कम करने हेतू प्रभावशाली प्रस्तावित कानून-ड्राफ्ट चाहते हैं तो, 08141277555 पर अपने मोबाइल इन्बोक्स से कृपया तीन एस.एम.एस. भेजें –
.
• पहला एस.एम.एस. इस प्रकार रहेगा (मतलब दो स्टार सिम्बल के बीच में
अपना वोटर आई.डी. नंबर डाल कर एस.एम.एस. करें)
.
*आपकी-वोटर-आई.डी.-संख्या*
.
• दूसरा एस.एम.एस. में केवल चार अंक रहेंगे जो टी.सी.पी. (rtrg.in/tcpsms.h) का समर्थन कोड है –
.
0011
.
• तीसरा एस.एम्.एस. में केवल चार अंक रहेंगे जो बलात्कार और यौन अत्याचार और झूठी शिकायतें कम करने के लिए कानूनों का समर्थन कोड है –
.
0211
.
आपका समर्थन इस लिंक पर आएगा –
.
http://smstoneta.com/tcp |
.
यदि पर्याप्त संख्या में ये इन्टरनेट वोटर आई.डी. समर्थन प्राप्त हो गया, तो ये कानून आ जायेंगे |
.
और कृपया अन्य नागरिकों को भी विज्ञापन, पर्चों आदि द्वारा बताएं कि वे भी अपने सांसद को इस प्रकार का एस.एम.एस भेजें |
=================================
प्रिय सांसद,
यदि आपको एस.एम.एस. के द्वारा यू.आर.एल. मिला है तो उसे वोटर का आदेश माना जाये जिसने यह मैसेज भेजा है (न कि जिसने ये लेख लिखा है)
एस.एम.एस. भेजने वाला आपको लेख के `C` सैक्शन में कानून-ड्राफ्ट को अपने वेबसाईट, निजी बिल आदि द्वारा बढ़ावा करने और प्रधानमंत्री को सरकारी आदेश में उन ड्राफ्ट को छपवाने की मांग करने के लिए आदेश दे रहा है |
A. समाधान-ड्राफ्ट संक्षिप्त में
हम, आम-नागरिक मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, जज आदि को मजबूर कर सकते हैं निम्नलिखित कानून भारतीय राजपत्र में डालने के लिए | हमें अपने नेताओं को केवल चुनना ही नहीं चाहिए, लेकिन ये भी सुनिश्चित करना चाहिए कि वे सत्ता में आने के बाद, प्रभावशाली तरीके से काम करें |
A1. बलात्कार और झूठी शिकायतें कम करने के प्रशासनिक तरीके
A1.1. नागरिक-प्रामाणिक, पारदर्शी शिकायत-प्रस्ताव प्रक्रिया - ताकि शिकायतों / सबूत को दबाया नहीं जा सके
आज के सिस्टम से आम-नागरिक की दुर्दशा-
आज यदि किसी के पास बलात्कार या झूठी शिकायत करने वाले के विरुद्ध सबूत है और वो सबूत सरकार द्वारा बताये दफ्तर में जमा करता है, तो जमा करने के बाद वो स्वयं अपनी अर्जी देख नहीं सकता | इसलिए, उन सबूत वाली अर्जी को दबाना / छेड़-छाड करना बहुत आसान है | क्योंकि एक बार अर्जी जमा हो जाये तो, हम या दूसरे नागरिक अपनी ही अर्जी को देख नहीं सकते |
सरल सा उपाय -
इसीलिए, हमने ये प्रस्ताव किया है कि नागरिक-मतदाता को ये विकल्प होना चाहिए कि यदि वो चाहे, तो वो किसी भी दिन, कलेक्टर आदि सरकारी दफ्तर जाकर अपनी अर्जी, 20 रुपये प्रति पन्ने के एफिडेविट के रूप में प्रधानमंत्री की वेबसाईट पर नागरिक के वोटर आई.डी. नंबर के साथ स्कैन करवा सकेगा जिससे सभी उस एफिडेविट को बिना लॉग-इन शब्द-शब्द पढ़ सकेंगे |
संक्षिप्त में, ये मांग केवल एक लाइन की है कि किसी भी नागरिक के पास ये विकल्प हो कि वो अपनी एफिडेविट प्रधानमंत्री वेबसाईट पर, अपने वोटर आई.डी नंबर के साथ, स्कैन करवा सके ताकि उस एफिडेविट को सभी बिना लॉग-इन किये देख सकें | यदि ये सरकारी आदेश लागू हो जाता है, तो कोई बाबू, कोई मीडिया या अफसर उनकी अर्जी दबा नहीं सकता क्योंकि अर्जी दबाने का प्रयास करने पर, लाखों नागरिकों के समक्ष उसकी पोल प्रमाण सहित खुल जायेगी |
कृपया पारदर्शी शिकायत-प्रस्ताव प्रणाली का पूरा ड्राफ्ट आगे सैक्शन C1 में देखें |
A1.2. जूरी मुकदमा – न्यायपूर्ण और थोड़े समय में फैसलों के लिए
जूरी सिस्टम में जज के बदले क्रम-रहित (लॉटरी द्वारा) चुने गए 15 से 1500 नागरिक मामले का फैसला करते हैं और हर मामले के बाद नए लोग चुने जाते हैं |
जज मुकदमों का फैसला दशकों तक लटकाते रहते हैं क्यूंकि वे अमीर, आरोपित पक्ष के हाथों बिक जाते हैं | इसीलिए, बलात्कार के मुकदमों का फैसला लॉटरी द्वारा (क्रमरहित तरीके से) चुने गए 15 से 1500 नागरिकों को करना चाहिए जिसे जूरी सदस्य कहते हैं | ये नागरिक 30 और 55 वर्ष के बीच की आयु के होंगे और हर मामले के बाद नए लोग फैसला करेंगे | जूरी सदस्य को `जिला जूरी प्रशासक` नामक अफसर चुनेगा और ये जिला जूरी प्रशासक को मुख्यमंत्री नियुक्त करेंगे और जिला जूरी प्रशासक को उस जिले के नागरिक बदल सकते हैं |
जज सिस्टम में, केवल कुछ गिनती के जज ही सभी कोर्ट के फैसले करते हैं जबकि जूरी सिस्टम में फैसले करने वाले व्यक्ति 12-15 गुना अधिक नहीं बल्कि हजारों गुना अधिक होते हैं | कैसे ? जज सिस्टम में, मान लीजिए कि एक जज 30 वर्ष के लिए कार्य करता है और एक वर्ष में 100 मुकदमों का फैसला करता है ; यानी अपने पूरे कार्यकाल में एक जज लगभग 3000 मुकदमों का फैसला करता है | जूरी सिस्टम में इन मुकदमों का फैसला कुछ 36,000 लोग करेंगे | तो फैसला करने वाले व्यक्तियों की संख्या 36000 गुना बढ़ी, ना कि केवल 12 गुना !!
तो जज सिस्टम में, भ्रष्ट को लाभ होता है क्यूंकि उनको केवल कुछ सौ लोगों को ही रिश्वत देनी होती है या उन्हें संभालना होता है ( उन लोगों के रिश्तेदारों को अपना वकील बनाकर) | जूरी सिस्टम में, भ्रष्ट को जिन लोगों को रिश्वत देनी है, उनकी गिनती करोड़ों में जायेगी; इतने लोगों को संभाल पाने की संभावना लगभग शून्य है |
इसीलिए, हम ये समाधान बताते हैं कि जज सिस्टम को समाप्त करके निचली अदालत, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी जूरी सिस्टम का प्रयोग करना चाहिए | जूरी सिस्टम यदि लागू है तो भ्रष्ट के लिए कोर्ट में रिश्वत या उपहार देकर अपना कार्य निकालना असंभव हो जायेगा | इसके अलावा, जूरी सिस्टम प्रशासन में अन्याय और भ्रष्टाचार को भी कम करेगा और इससे भी बलात्कार, यौन अत्याचार और झूठी शिकायतें में कमी आएगी |
कृपया जूरी सिस्टम का पूरा ड्राफ्ट नीचे सैक्शन C5 में देखें |
A1.3. जूरी की सहमति से पब्लिक में नारको जांच झूठे शिकायतों की सम्भावना कम करती है –
नारको जांच एक सुरक्षित प्रक्रिया है जिसमें डॉक्टर की देख-रेख में, थोड़ी सोडियम पेंटा-थेनोल की दवा दी जाती है व्यक्ति के दिमाग के योजना बनाने वाले केन्द्र को थोड़ी देर दबाने के लिए, ताकि व्यक्ति योजना बनाकर पूछे गए प्रश्नों का उत्तर न दे | अन्य जांच के साथ नारको जांच में महत्वपूर्ण सुराग मिलते हैं, जिससे और जांच करने पर सबूत मिल सकते हैं | ये सिद्ध करने के लिए कि बलात्कार या यौन अत्याचार किया गया था कि नहीं, जूरी के सहमति से बलात्कार आरोपी पर पब्लिक में नारको होना चाहिए | जूरी पब्लिक में नारको करवाने के लिए अपनी सहमति / असहमति कुछ प्रथम दृष्टया (पहली दृष्टि के) सबूत देखने के बाद करेगी |
1. बलात्कार के सभी मामलों में सुनवाई जूरी और केवल जूरी द्वारा ही की जाएगी । जूरी में जिलों से क्रमरहित तरीके से चुने गए 30 वर्ष और 60 वर्ष के बीच के उम्र के 15 से 1500 नागरिक होंगे । इन चुने गए नागरिकों में से कम से कम 50% महिलाएं होंगी |
2. यदि आरोपी चाहता हो या बहुमत जूरी सदस्य यदि जरूरी समझते हों कि आरोपी पर सच्चाई सीरम जांच (नार्को जाँच) की जानी चाहिए, तो जांच अधिकारी मुलजिम पर सच्चाई सीरम जांच करेगा ।
3. यदि शिकायतकर्ता चाहता हो या बहुमत जूरी सदस्य यदि जरूरी समझते हों कि शिकायतकर्ता पर सच्चाई सीरम जांच की जानी चाहिए, तो जांच अधिकारी शिकायतकर्ता पर सच्चाई सीरम जांच करेगा ।
पब्लिक में नार्को जांच के बारे में अधिक जानकारी के लिए, कृपया आगे सैक्शन C3 देखें और ये लिंक देखें -
https://www.facebook.com/notes/right-to ... 3124088361
बलात्कार की सुनवाई में सच्चाई सीरम जांच अनिवार्य (जरूरी) है क्योंकि दोनों में से कोई भी पक्ष झूठ बोल सकता है और ज्यादातर सबूत ज्यादातर अधूरे होते हैं । वे ज्यादा से ज्यादा यह बता सकते हैं कि (शारीरिक) संबंध बने हैं लेकिन जोर जबरदस्ती या धमकी के प्रयोग को प्रमाणित नहीं करते । वर्तमान कानूनों में सच्चाई सीरम जांच के लिए जज की अनुमति की जरूरत होती है और चूंकि जज अनुमति नहीं भी दे सकते हैं इसलिए अपराधी अकसर छूट जाते हैं |
इसलिए, सच्चाई सीरम जांच का निर्णय जूरी पर छोड़ दिया जाना चाहिए । यह वर्तमान कानून गलत है कि महिला की गवाही ही अंतिम मानी जायेगी और इसे बदलकर इसके स्थान पर सच्चाई सीरम जांच (नार्को जांच) को अनिवार्य (जरूरी) किया जाना चाहिए । भारत में बलात्कार के मामलों और झूठी शिकायतों को रोकने में तकनीकी साधन और सच्चाई सीरम जांच का प्रयोग मजबूत साधन बनेगा ।
A1.4. महिलाओं के विरुद्ध अपराध के लिए जिला पोलिस कमिश्नर और जिला प्रधान जज के ऊपर राईट टू रिकॉल :
नौकरी जाने के डर से 99% अफसर अपना व्यवहार और काम सुधार देते हैं और बाकी 1% अफसर जो अपना व्यवहार और कार्य नहीं सुधारते, तो आम-नागरिक उन अफसरों को अधिक अच्छे अफसरों से बदल देंगे |
हर जिले में एक सहायक (डिप्टी) पुलिस कमिश्नर होना चाहिए जो महिलाओं के विरुद्ध अपराध मामलों का प्रभारी हो और उस जिले की महिलाओं को उस डिप्टी पुलिस कमिश्नर को बदलने का अधिकार होना चाहिए |
हर जिले में 3 जज के पास महिलाओं के विरुद्ध मामले होने चाहिए और उस जिले के महिलाओं के पास उन जज को बदलने का अधिकार होना चाहिए |
कृपया इन प्रस्तावित ड्राफ्ट की अधिक जानकारी आगे सैक्शन C4 और C5 में देखें |
A1.5. हर मामले की रोज की करवाई को, गुप्त जानकारी हटाकर, इन्टरनेट पर डालना चाहिए :
इस प्रकार नागरिक को ये पता चलेगा कि जज कितनी तेजी से या धीमे से कोर्ट मामले का फैसला करते हैं | अक्सर जज उन मामलों में तेजी करते हैं, जिनका मीडिया में प्रचार होता है और बाकी सब मामलों में देरी करते हैं | मीडिया सारे मामलों का प्रचार नहीं कर सकता और मीडिया तो बिकाऊ होता है | जब आरोपी धनी होता है, तो मीडिया अक्सर प्रचार नहीं करता | लेकिन यदि सभी मामले इन्टरनेट पर आयें, तो जजों की जान-बूझ कर मामलों का लटकाना सबको प्रमाण के साथ पता चलेगा |
A2. बलात्कार और झूठी शिकायतें कम करने के तकनीकी साधन
ये निम्नलिखित तकनीकी साधन बलात्कार, झूठी शिकायतें आदि को कम करने के लिए तभी पर्याप्त होंगे जब पहले बताये गए प्रशासनिक साधन लागू किये गए हों ; बिना नागरिक-प्रामाणिक प्रशासनिक तरीकों के ये तकनीकी साधन फेल हो जायेंगे |
A2.1. जितनी ज्यादा सार्वजनिक जगहों पर संभव हो सके, उतनी जगहों पर कैमरे लगाना चाहिए :
जितना अधिक संभव हो सके उतने कैमरे लगाकर हम बलात्कार और बस अड्डों / स्टॉपों बसों के भीतर और अन्य भीड़-भाड़ वाली सार्वजनिक जगहों पर छेड़छाड़ की घटनाओं को कम कर सकते हैं । एक उदहारण चीन का बेजिंग है | ओलम्पिक खेल के समय, चीनी सरकार ने आतंकवाद को रोकने के लिए पूरे बेजिंग शहर में कोने-कोने में दस लाख कैमरे लगाये थे | ये कैमरे लगाने से यौन अत्याचार और यातायात नियम तोडना भी कम हुआ | गुजरात में मोदी सरकार ने भी दंगे वाले जगहों में और उन जगह में घूमती पूलिस जीपों में भी कैमरे लगवाये थे. जिससे उन जगहों पर दंगों में कमी आई थी |
A2.2. हरेक महिला को खतरे का संकेत देने वाले, बटन वाला मशीन देना :
हरेक महिला को एक ऐसी मशीन दी जा सकती है जिसका बटन दबाने पर लगातार महिला के आस-पास की आवाज किसी कंट्रोल स्टेशन पर भेजी जायेगी और वो मशीन शुरू होने के बाद तब तक बन्द नहीं की जा सकेगी जब तक उसे तोड़ा नहीं जाये | इसके अलावा, इस मशीन में खतरे का (पैनिक) बटन लगाया जा सकता है। जब इस बटन को दबाया जाएगा तो यह खतरा का (पैनिक) बटन नजदीक के किसी फोन टावर के साथ-साथ पुलिस स्टेशनों को खतरे का संकेत भेजेगा । तकनीकी तरीकों से उस स्थान का भी पता लगाया जा सकता है कि महिला किस जगह पर है, जिससे कि पुलिस को कम समय में पहुँचने और मदद करने में आसानी हो ।
A2.3. महिलाओं और आम-नागरिकों को अपनी सुरक्षा के लिए बंदूकें देना :
महिलाओं को बंदूकें और दूसरे हथियार रखने की अनुमति दी जानी चाहिए । सुरक्षा के लिए हथियार रखने के लिए कोई लाइसेंस की जरुरत नहीं होनी चाहिए, केवल पंजीकरण करवाना जरुरी होना चाहिए | और उन्हें इन हथियारों आदि को चलाने की ट्रेनिंग दी जानी चाहिए | हथियार चलाने की ट्रेनिंग होने के बाद महिलाओं को एक पंजीकृत सुरक्षा के लिए हथियार दिया जाये । शुरुआत में, स्कूल की बारवीं कक्षा समाप्त होने के बाद एक साल की आवश्यक / अनिवार्य सैनिक ट्रेनिंग होनी चाहिए और ये सैनिक ट्रेनिंग किसी भी कोलेज में भर्ती होने के लिए आवश्यक होनी चाहिए | बाद में, दूसरे नागरिकों के लिए हथियार चलाने के ट्रेनिंग के केन्द्र शुरू किये जा सकते हैं |
इसके पर्याप्त सबूत हैं कि बंदूकें अपराध कम करते हैं और `बंदूकों पर रोक` जानलेवा है | और इसके विपरीत दावों के लिए कोई भी ठोस प्रामाण नहीं है | इसकी अधिक जानकारी के लिए इस लिंक का सैक्शन D देखें -
http://www.forum.righttorecall.info/vie ... =22&t=1141
A2.4. राष्ट्रीय डी.एन.ए. आंकड़ा कोष (डाटाबेस) :
सभी पुरूषों के डी.एन.ए. का आंकड़ा कोष (डाटाबेस) तैयार करना बलात्कार के आरोपियों को कम लागत में और तेज गति से पकड़ने/खोज निकालने में उपयोगी होगा । पकड़े/खोज निकाले जाने का डर आरोपियों को बलात्कार करने से रोकेगा ।
B. बलात्कार, यौन उत्पीडन, झूठी शिकायतों की समस्याओं की अधिक जानकारी और कुछ मिथ्यों (झूठी बात) की सच्चाई
B1. दिल्ली बस रेप काण्ड –
यदि कोई भी व्यक्ति दिसम्बर 2102 में हुए “दिल्ली बस रेप काण्ड” के मुख्य आरोपी राम आधार सिंह के आपराधिक इतिहास की ओर देखेगा, तो उसे पता चलेगा कि वह पहले भी कई छोटे-बड़े हिंसक अपराध कर चुका था और उसके कुछ अपराधों की शिकायत भी दर्ज की गई थी | लेकिन वह अपने पिछले सभी मामलों से बच निकला था जिससे उसकी और उसके साथियों की और अधिक अपराधो को करने की हिम्मत बढ़ गई थी |
यदि अदालतें उसके पहले के आपराधिक मामलों को लेकर सीरियस (गंभीर)) रहते, तो उसे (राम आधार सिंह को) जरूर कुछ महीने या वर्षो की कैद की सजा होती |
अब यदि पीड़ित पैसे-वाला न हो तो आजकल अदालतें छोटे अपराधो में सजा देती ही नहीं हैं और मामले को रफा-दफा करने में लगी रहती हैं | इसका मुख्य कारण यही है कि – जज भ्रष्ट है, सरकारी वकील भ्रष्ट है और जांच-कर्ता (पुलिस) भी भ्रष्ट हैं | और हाई कोर्ट के जज तो और भी अधिक भ्रष्ट हैं, जिन्हें सिर्फ उन्हीं मामलों में दिलचस्पी होती है जिनसे उन्हें या उनके रिश्तेदार वकील को पैसा मिल सके या उन्हें नौकरी में प्रमोशन मिल सके और उन्हें निचली अदालतों के बुनियादी ढ़ाचे सुधारने में बिलकुल भी दिलचस्पी नहीं होती है |
कानून मंत्रालय में भ्रष्टाचार होने से समस्या और भी बिगड़ गई है | कानून मंत्री और कानून मंत्रालय के आई.ए.एस (IAS) अधिकारियों को भी निचली अदालतों की संख्या बढ़ाने और न्यायिक फैसलों की गति, न्याय और पारदर्शिता बढ़ाने में कोई दिलचस्पी नहीं है | और कोई भी मुख्यमंत्री अपनी इच्छा से कोर्ट के फैसलों में हो रहे देरी और अदालतों की व्यवस्था सुधारना नहीं चाहता |
B2. आज सच्चाई यही है : पुलिस सिर्फ नेताओं के लिए है, आम नागरिकों के लिए नहीं
कार्यकर्ताओं और आम लोगों को अब यह चुनाव करना है कि क्या वे नेताओं की अंधभक्ति चालू रखना चाहते हैं या कुछ ऐसा करना चाहते हैं जिससे नागरिक मजबूत हों - जैसे नागरिकों को छोटी-मोटी बन्दूक रखने का अधिकार हो ताकि वह अपराधियों से अपनी सुरक्षा कर सकें | अपराधियों के पास पहले से ही बन्दूके हैं | आज के हथियार रखने के कानून अपराधियों को बन्दूके रखने से नहीं रोकते बल्कि आम नागरिकों को अपनी आत्म-रक्षा करने से रोकते हैं |
पुलिस सिर्फ नेताओं की ही सुरक्षा करती है, वह नागरिकों की सुरक्षा न करती है और न कर सकती है | जबकि अपराधियों के पास ए.के.-47 है, ज्यादातर नेता और उनके अंधभक्त इस बात पर ज़ोर देते हैं कि आम नागरिकों' के पास अपनी आत्म-रक्षा के लिए देसी कट्टा रखने का भी अधिकार नहीं होना चाहिए |
B3. बिना जूरी प्रणाली और जूरी की सहमती से अपराधियों का पब्लिक में नारको टेस्ट किए बिना, कोई भी `सख्त` कानून का बुरा प्रभाव होगा
जज ऐसे कानून का दुरूपयोग करके आरोपी से पैसा निकालने में लग जाएँगे भले ही वह दोषी हो या निर्दोष |
हमें गंभीर मामलों में अपराधियों को फांसी या सख्त सज़ा देनी चाहिए परन्तु जूरी के सहमति द्वारा आरोपी का पब्लिक में नारको टेस्ट करवाने और जूरी के फैसले के बाद ही सजा होनी चाहिए |
हमें किसी को फांसी या सख्त सजा की अनुमति सिर्फ इस आधार पर नहीं देनी चाहिए क्योंकि किसी जज ने ऐसा निर्णय लिया है | क्योंकि निचली अदालत, हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के 99% जज भ्रष्ट होते हैं | यदि फांसी या सख्त सज़ा देने का अधिकार हम जजों पर छोड़ देते हैं, तो यह जज अपने वकीलों के माध्यम से आरोपी से पैसा ऐंठेंगे, भले ही वह दोषी हो या बेगुनाह | जज फर्जी मुकदमों को बढ़ावा देंगे और लोगों को चारों तरफ से लूटेंगे |
उदाहरण – 498A का कानून देखें | इन मामलों में जज और उनके रिश्तेदार वकील सीधे तौर पर आरोपियों को ठगते हैं, भले ही वह दोषी हो या बेगुनाह और हर साल हजारों करोड़ आरोपियों को ठग लेते हैं | और 498A में सजा भी 3 से 7 साल तक की कैद है, अब सोचिये यदि सजा फांसी तक की होती, तो जज और उनके रिश्तेदार वकील आरोपियों से कितना पैसा बना लेते ?
इसलिए हमें सख्त कानूनों को बढ़ावा देना चाहिए लेकिन जूरी की अनुमति द्वारा आरोपी का पब्लिक में नारको टेस्ट लेने के बाद सजा का निर्णय होना चाहिए, नाकि सिर्फ भ्रष्ट जजों पर निर्भर होकर सजा होनी चाहिए |
B4. जूरी मुकदमा / ट्रायल की जरुरत है बजाए “फास्ट ट्रैक कोर्ट” की –
हमें जूरी द्वारा किए गए मुकदमों की आवश्यकता है यदि हम चाहते हैं कि मुकदमें तेज़ गति व अन्याय किए बिना निपट सके | क्योंकि जूरी के पास केवल एक ही मुकदमा होता है, इसलिए बिना किसी अन्य मुक़दमे के अवरोध के मुकदमा सुबह 10 बजे से श्याम 5 बजे तक चलता है |
इसके अलावा, हमें सांसदों को मोबाइल द्वारा सन्देश (एस.एम.एस) भेजना चाहिए कि वह आई.पी.सी (IPC) में बदलाव करें और ऐसे मामलों में अधिकतम सजा (मृत्यु दंड का प्रावधान) रखें जहाँ – (1) हिंसा (मार-धार) से गंभीर, जान ले सकने वाली चोटें आई हों, और (2) बलात्कार के साथ हत्या करने का प्रयास किया गया हो | और साथ ही सभी मामलों में नाबालिकों की उम्र 18 से 16 साल करने के लिए कहें |
B5. चरित्र निर्माण के उपदेश - बिना अच्छे कानूनों और अच्छे सिस्टम की मोजूदगी में उपदेश बलात्कार और योन अत्याचार के मामले काम नहीं करेंगे –- समाज में नैतिकता (इमानदारी) के लिए पहला कदम है नैतिक (ईमानदार) कानूनों का होना
1. क्यों आज हमें नैतिक (ईमानदार) सिस्टम की ज़रूरत है और केवल नैतिकता (इमानदारी) पर उपदेश पर्याप्त नहीं है –
ऐसा कहा जाता है कि हज़ारों साल पहले, माहावीर आदि जैसी पुन्य आत्माएं रहा करती थीं | जिनकी उपस्तिथि से मांसाहारी प्राणी भी हिंसा (मार-धार) नहीं करते थे | लोग कभी अपने दरवाजों पर ताला नहीं लगाते थे, चोरी नहीं किया करते थे आदि | मतलब सम्पूर्ण नैतिकता थी |
अब समय के साथ, जनसँख्या बढ़ने से जीवन में परिवर्तन और अन्य कारणों (जो इस लेख के विषय से परे (बाहर) हैं) से लोगों में नैतिकता का लैवल कम होने लगा था | अब, जब नैतिकता बड़े स्तर पर गिरने लगी, तो अनैतिक (बेईमान) प्राणियों ने नैतिक (ईमानदार) प्राणियों को लूटना शुरू कर दिया और नैतिक प्राणी अनैतिक प्राणियों को नैतिकता का पाठ पढ़ाने में असफल रहे | अनैतिक प्राणी ताकत हासिल करने में सफल रहे और सांठ-गांठ, भाई-भतीजावाद द्वारा, सच्चाई छुपा कर, नागरिकों का मत दबा कर और हथियारों द्वारा दूसरों को शारीरिक नुक्सान पंहुचा कर सत्ता के सबसे ऊंचे पद हासिल करने लगे |
इसलिए, नैतिक (ईमानदार) प्राणियों ने नैतिक (ईमानदार) सिस्टम / व्यवस्थाओं को बनाया जैसे दरवाजों पर ताले लगा कर स्वयं की रक्षा करना आदि | क्योंकि यदि 1% अनैतिक प्राणियों का भी अस्तित्व होगा (मौजूदगी होगी), तो वह सांठ-गांठ करेंगे और नैतिक प्राणियों को लूटेंगे |
पुरातन काल (पुराने जमाने) में, अन्य ईमानदार सिस्टम द्वारा राष्ट्र के सबसे ऊंचे पदों पर बैठे अनैतिक (बेईमान) प्राणियों को सजा दी जा रही थी और नैतिक (सामान्य) प्राणियों द्वारा अनैतिक लोगों को बदला जा रहा था (अर्थात वेदों में बताये गए प्रजा आधीन राजा) | दूसरे प्रक्रियाओं जैसे जनता के बीच पोल खोलना और हथियारों द्वारा आत्म-रक्षा करना, ऐसी प्रक्रियाएँ द्वारा भी नैतिक (ईमानदार) लोगों ने अनैतिक लोगों को अनैतिकता से रोका |
इसलिए, जब तक हम स्वयं और सभी अनैतिक (बेईमान) जीवों में नैतिकता (इमानदारी) नहीं भर देते, तब तक हमें नैतिक व्यवस्थाओ (ईमानदार सिस्टम) की ज़रूरत पड़ेगी | हम अपने दरवाज़े बिन ताले के खुला नहीं छोड़ सकते और ईमानदार लोगों को आत्म-रक्षा के लिए हथियार की भी आवश्यकता पड़ेगी | एक ऐसे सिस्टम की आवश्यकता है जिससे सांठ-गांठ, भाई-भतीजावाद, पक्षपात को प्रजा आधीन राजा द्वारा कम किया जा सके, मतलब ऐसी व्यवस्था जिससे प्रशासकों को नागरिकों द्वारा बदला जा सके, सजा दी जा सके | ऐसे सिस्टम को हम कहते हैं – सेंसर बोर्ड प्रमुख, जज, मुख्यमंत्री, विधायक आदि पर राईट टू रिकॉल और जूरी द्वारा मुकदमा |
और, हमें ऐसी नागरिक-प्रामाणिक प्रक्रियाएँ भी चाहिए जिसमें नागरिक स्वयं सच और झूठ का पता लगा सके, जिसमें नागरिकों के पास विकल्प हो कि वह सबूतों को एफिडेविट के रूप में, अपने मतदाता पहचान पत्र नंबर के साथ प्रधानमंत्री वेबसाईट पर स्कैन करा सकें ताकि वो एफिडेविट सब लोगों को दिखाई दे सके बिना लॉग-इन किए | इससे नागरिक बेईमान लोगों को सबूतों को दबाने से रोक सकेंगे, ऐसे सिस्टम को हम कहते – नागरिक-प्रामाणिक, पारदर्शी शिकायत प्रणाली (टी.सी.पी.)
इस प्रस्तावित प्रणाली का प्रक्रिया-ड्राफ्ट आगे सैक्शन – C में देखें |
हम नैतिकता (इमानदारी) पर उपदेश देने का विरोध नहीं करते लेकिन यह उम्मीद करना कि उपदेशों से ईमानदार प्राणियों की बेईमान प्राणियों से सुरक्षा हो जाएगी, दिन में सपने देखने जैसा होगा | जब तक हमारे पास ऐसी प्रक्रियाएँ न हों जिनसे हम अनैतिक (बेईमान) लोगो की जनसँख्या 1% या उससे भी कम, या इस हद तक कम नहीं कर देते कि अनैतिक प्राणी सांठ-गांठ करके नैतिक प्राणियों को ना लूट सकें, केवल उपदेश पर्याप्त नहीं हैं |
इसलिए आज हमारा तुरंत और पहला नैतिक (ईमानदार) कदम यह होना चाहिए कि अनैतिक लोगों से नैतिक सिस्टम द्वारा सुरक्षा करना – जनता को ताकतवर बनाना इन साधनों द्वारा - नागरिकों को बन्दूक से लेकर भ्रष्ट लोगों को बदलने / सज़ा देने का अधिकार देकर और नागरिक द्वारा जमा किये गए सबूत जनता देख सके और जांच सके बिना सबूतों से छेड़-छाड़ किए या उन्हें दबाए बिना |
मुख्य बात यह है कि लोग अनैतिक या बेईमान हो सकते हैं लेकिन व्यवस्था को ईमानदार और न्याय वाला बनाया जा सकता है | क्या हम ईमानदार सिस्टम को बढ़ावा दे रहे है ? यदि नहीं, तो एक तरह से हम जाने / अनजाने में आज के बेईमान सिस्टम, अन्याय को बढ़ावा दे रहे हैं |
2. आज के भ्रष्ट सिस्टम नागरिकों को गलत सीख और शिक्षा देते हैं -- उपाय
आज के भ्रष्ट सिस्टम से नागरिकों को ये शिक्षा मिलती है कि गलत कार्य लो और आसानी से सबूत दबवा दो तो किसी को भी पता नहीं चलेगा | आज ये शिक्षा मिलती है कि गलत कार्य करने पर सांठ-गांठ बना कर कोई भी सजा से बच सकता है और उसकी नौकरी भी सुरक्षित रहेगी |
आज गवाह को सालों-साल कोर्ट-कचेहरी के चक्कर काटने पड़ेंगे और फिर भी न्याय नहीं होगा और वो अपना परिवार के प्रति धर्म सही से नहीं निभा पायेगा | इसिलए बहुत कम लोग गवाह बनने के लिए तैयार होते हैं |
उपाय ये ही है कि हम एक ईमानदार, नागरिक-प्रमाणिक सिस्टम लायें जो सही शिक्षा दे कि गलत कार्य करने पर टी.सी.पी. के द्वारा उसके खिलाफ सबूत डाला जा सकता है और वो समाज में बदनाम होगा | राईट टू रिकॉल की प्रक्रिया होगी तो उसकी नौकरी जायेगी और जूरी सिस्टम होने पर आम-नागरिक उसको कुछ ही समय में सजा भी देंगे यदि नागरिक गलत कार्य करता है | इसीलिए, हमें ईमानदार सिस्टम की मांग करके उन्हें लागू करवाना चाहिए |
3. क्यों अश्लीलता (बेशर्मी) पर प्रतिबन्ध लगाने से यौन अत्याचार के मामलों में कमी नहीं आएगी –
हम अश्लीलता पर प्रतिबन्ध लगाने का विरोध नहीं करते | तकनीकी तौर पर ऐसा करना आसान भी नहीं है क्योंकि अर्ध-नग्न तसवीरें आदि आसानी से शेयरिंग वेबसाइट, इन्टरनेट, डी.वी.डी, पेन-ड्राइव आदि द्वारा साझा की सकती है | कोई भी देश ऐसी सामग्री पर प्रतिबन्ध लगाने में सफल नहीं हो पाया है और यदि किसी तरह से इसपर प्रतिबन्ध लग भी जाता है और यदि मुजरिम को सज़ा नहीं दी जाती है, तो यौन अत्याचार के मामलों में कमी नहीं आने वाली |
अच्छे, इमानदार सिस्टम के बिना नैतिक मूल्यों को खड़ा नहीं किया जा सकता | यदि आज हम अच्छे, इमानदार व्यवस्थाओं का प्रचार नहीं करते जिससे नागरिकों को भ्रष्ट लोगों को बदला जा सके / भ्रष्ट को सज़ा दे सके, तो उच्च लेवल के भ्रष्टाचारी ईमानदार लोगों को रोकने का हर तरह का प्रयास करेंगे | क्यों ? नैतिक (ईमानदार) लोगों की मौजूदगी में बेईमान लोगों को अपने काले कारनामों को करने में सफलता नहीं मिल पाएगी, ऐसे में बेईमान लोग हर तरह का प्रयास करेंगे ताकि वह ईमानदार लोगों को हटा / दबा सके |
चलिए, मान लेते हैं कि किसी तरह कोई ईमानदार व्यक्ति सत्ता हासिल करने में सफल हो जाता है लेकिन सिस्टम यदि भ्रष्ट है, ऐसे में भ्रष्टाचारी आसानी से उसे दबाने, हटाने या उसकी हत्या करवाने में सफल हो जाएँगे | जैसे - लाल बहादुर शास्त्री आदि |
4. मोदी साहेब द्वारा लागू किया गया जुवेनाइल क़ानून 2015 देश के साथ धोखा है
अधिक उम्र के अपराधी को सिर्फ तब वयस्क माना जाएगा, जब जुवेनाइल बोर्ड उसे वयस्क माने अन्यथा उसे नाबालिग ही माना जाएगा और बलात्कार और हत्या जैसे जघन्य अपराध के बावजूद उसे ज्यादा से ज्यादा सिर्फ 3 वर्ष तक की सजा ही दी जा सकेगी।
दरअसल मोदी साहेब दबी जुबान में यह कह रहे है कि, "यदि आप किसी रईस या उच्च पदाधिकारी या राजनेता की किशोर संतान है या आपके परिजनों के लव जिहाद को बढ़ावा देने वाली सऊदी अरब की लॉबी से अच्छे संपर्क है, या भ्रष्ट जजो तक आपकी पहुँच है या पीड़ित लड़की जिस पर आपने बलात्कार किया है, गरीब तबके से है तथा पेड मिडिया अमुक मामले को कवरेज नहीं देता है , तो आप आसानी से जुवेनाइल बोर्ड के इन तीन सदस्यों के सामने पैसा फेंक कर, खुद को जुवेनाइल घोषित करवा सकते है" !!!
कार्यकर्ताओ को देश में ज्यूरी प्रथा के कानूनी ड्राफ्ट को गैजेट में छपवाने के लिए कार्य करना चाहिए, ताकि नागरिको की जूरी यह फैसला करे कि अपराधी को किशोर माना जाए या वयस्क। इससे मुकदमे की सुनवाई निष्पक्ष ढंग से की जा सकेगी और न्याय होगा।
C. बलात्कार, यौन अत्याचार और झूठी शिकायतें कम करने के लिए सरकारी आदेश छपवाने के लिए ड्राफ्ट
C1. पारदर्शी शिकायत प्रणाली - (ट्रांसपेरेंट कंप्लेंट प्रोसीजर-टी.सी.पी.)
धारा संख्या #
[अधिकारी जिसके लिए निर्देश]
प्रक्रिया
1.
[कलेक्टर (और उसके क्लर्क) के लिए निर्देश ]
कोई भी नागरिक मतदाता, यदि खुद हाजिर होकर, एफिडेविट पर अपनी सूचना अधिकार का आवेदन अर्जी / भ्रष्टाचार के खिलाफ फरियाद / कोई प्रस्ताव या कोई अन्य एफिडेविट कलेक्टर को देता है और प्रधानमंत्री की वेब-साईट पर रखने की मांग करता है, तो कलेक्टर (या उसका क्लर्क) उस एफिडेविट को प्रति पेज 20 रूपये का लेकर, सीरियल नंबर देकर, एफिडेविट को स्कैन करके प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर रखेगा, नागरिक के वोटर आई.डी. नम्बर के साथ, ताकि सभी बिना लॉग-इन के वे एफिडेविट देख सकें ।
2.
[पटवारी (तलाटी, लेखपाल)]
(2.1) कोई भी नागरिक मतदाता यदि धारा-1 द्वारा दी गई अर्जी या एफिडेविट पर आपनी हाँ या ना दर्ज कराने मतदाता कार्ड लेकर आये, 3 रुपये का शुल्क (फीस) लेकर, तो पटवारी नागरिक का मतदाता कार्ड संख्या, नाम, उसकी हाँ या ना को कंप्यूटर में दर्ज करके रसीद दे देगा ।
नागरिक की हाँ या ना प्रधानमंत्री की वेब-साईट पर आएगी । गरीबी रेखा के नीचे के नागरिकों के लिए फीस 1 रूपये होगी ।
(2.2) नागरिक पटवारी के दफ्तर जाकर किसी भी दिन अपनी हाँ या ना, बिना किसी शुल्क (फीस) के रद्द कर सकता है और तीन रुपये देकर बदल सकता है ।
(2.3) कलेक्टर एक ऐसा सिस्टम भी बना सकता है, जिससे मतदाता का फोटो, अंगुली के छाप को रसीद पर डाला जा सके | और मतदाता के लिए फीडबैक (पुष्टि) एस.एम.एस. सिस्टम बना सकता है |
(2.4) प्रधानमंत्री एक ऐसा सिस्टम बना सकता है, जिससे मतदाता अपनी हाँ या ना, 10 पैसे देकर एस.एम.एस. द्वारा दर्ज कर सके |
3.
----------------
ये कोई रेफेरेनडम (जनमत-संग्रह) नहीं है | यह हाँ या ना अधिकारी, मंत्री, जज, सांसद, विधायक, अदि पर अनिवार्य (जरूरी) नहीं होगी । लेकिन यदि भारत के 40 करोड़ नागरिक मतदाता, कोई एक अर्जी, फरियाद पर हाँ दर्ज करें, तो प्रधानमंत्री उस फरियाद, अर्जी पर ध्यान दे भी सकते हैं या ऐसा करना उनके लिए जरूरी नहीं है, या प्रधानमंत्री इस्तीफा दे सकते हैं । उनका निर्णय अंतिम होगा ।
विस्तृत जानकारी के लिए, कृपया ये लिंक देखें - http://www.righttorecall.info/tcpsms.h.htm (डाउनलोड लिंक - http://www.righttorecall.info/tcpsms.h.pdf)
प्रश्नोत्तरी के लिए देखें - http://www.righttorecall.info/007.h.htm (डाउनलोड लिंक - http://www.righttorecall.info/007.h.pdf)
C2. निचली कोर्ट में जूरी सिस्टम सरकारी आदेश
ये तभी लागू होगा जब प्रधानमंत्री इसपर हस्ताक्षर करेंगे |
धारा संख्या #
[अधिकारी जिसके लिए निर्देश]
प्रक्रिया
सैक्शन – 1 : जूरी प्रशासक की नियुक्ति (नौकरी पर रखना ; भर्ती ; बहाली) और उन्हें बदलने की प्रक्रिया
1.
[मुख्यमंत्री ; जिला कलेक्टर]
इस कानून के पारित/पास किए जाने के 2 दिनों के भीतर, सभी मुख्यमंत्री अपने-अपने पूरे राज्य के लिए एक रजिस्ट्रार की नियुक्ति करेंगे (नौकरी पर रखेंगे) और हर जिले के लिए एक जूरी प्रशासक की भी नियुक्ति करेंगे कोई भी भारत का नागरिक जो 30 साल या अधिक का हो, जिला कलेक्टर के दफ्तर में जा कर, सांसद के जितना शुल्क जमा कर के अपने को जूरी प्रशाशक के लिए प्रत्याशी दर्ज करा सकता है और जिला कलेक्टर प्रत्याशी का नाम मुख्यमंत्री वेबसाईट पर डालेगा |
2.
[तलाटी = पटवारी = लेखपाल (या तलाटी का क्लर्क) ]
किसी जिले में रहने वाला कोई नागरिक अपना मतदाता पहचान-पत्र दिखा कर अपने जिले में जूरी प्रशासक के पद के लिए (ज्यादा से ज्यादा) पांच उम्मीदवारों के क्रमांक नंबर बताएगा जिन्हें वो अनुमोदन/स्वीकृति करता है । क्लर्क उनके अनुमोदनों को नागरिक के वोटर आई.डी. नंबर के साथ कंप्यूटर और मुख्यमंत्री वेबसाईट पर डाल देगा और उस नागरिक को रसीद दे देगा। नागरिक अपनी पसंदों को किसी भी दिन बदल सकता है। क्लर्क तीन रूपए का शुल्क (फीस) लेगा ।
3.
[मुख्यमंत्री]
यदि किसी उम्मीदवार को सबसे अधिक नागरिक-मतदाताओं द्वारा और जिले के सभी नागरिक-मतदाताओं के 50 प्रतिशत से अधिक लोगों द्वारा अनुमोदित कर दिया जाता है तो मुख्यमंत्री उसे दो ही दिनों के भीतर उस जिले के नए जूरी प्रशासक के रूप में नियुक्त कर देंगे (नौकरी पर रख लेंगे)। यदि किसी उम्मीदवार को सभी नागरिक-मतदाताओं के 25 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं द्वारा अनुमोदित कर दिया जाता है और उसके अनुमोदनों की गिनती वर्तमान जूरी प्रशासक की गिनती से 5 प्रतिशत अधिक हो तो मुख्यमंत्री उसे दो ही दिनों के भीतर नए जूरी प्रशासक के रूप में नियुक्त कर देंगे ।
4.
[मुख्यमंत्री]
उस राज्य में सभी नागरिक-मतदाताओं के 51 प्रतिशत से ज्यादा मतदाताओं के अनुमोदन/स्वीकृति से, मुख्यमंत्री धारा (खण्ड) 2 और धारा 3 को रद्द कर सकते हैं और पांच वर्षों के लिए अपनी ओर से जूरी प्रशासक नियुक्त कर सकते हैं ।
5.
[प्रधानमंत्री]
भारत के सभी नागरिक-मतदाताओं के 51 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं के अनुमोदन/स्वीकृति से, प्रधानमंत्री धारा (खण्ड) 2, धारा 3 और ऊपर लिखित धारा 4 को पूरे राज्य के लिए या कुछ जिलों के लिए रद्द कर सकते हैं और पांच वर्षों के लिए अपनी ओर से जूरी प्रशासक नियुक्त कर सकते हैं ।
सैक्शन – 2 : महा-जूरीमंडल का गठन
6.
[जूरी प्रशासक]
मतदाता-सूची का उपयोग करके, जूरी प्रशासक किसी आम बैठक में, क्रमरहित तरीके से / रैंडमली उस जिले की मतदाता-सूची में से 40 नागरिकों का चयन महा-जूरीमंडल के सदस्य के रूप में करेगा, जिसमें से वह साक्षात्कार के बाद किन्हीं 10 नागरिकों को उस सूची से हटा देगा और शेष 30 लोग/नागरिक महा-जूरीमंडल के सदस्य होंगे। यदि जूरीमंडल की नियुक्ति मुख्यमंत्री अथवा प्रधानमंत्री द्वारा धारा 4 अथवा धारा 5 के तहत की गई है तो वे 60 नागरिकों तक को चुन सकते हैं और उनमें से तीस तक को हटाकर महा-जूरीमंडल बना सकते हैं ।
(स्पष्टीकरण-
ये पूर्व चयनित महा-जूरी के लिए नागरिकों की संख्या बढ़ाने का आशय मुख्यमंत्री/प्रधानमंत्री, जो राज्य और राष्ट्र के प्रतिनिधि हैं, उनके अधिकार बढ़ाने के लिए है स्थानीय लोगों के बनिस्पत)
7.
[जूरी प्रशासक]
महा-जूरीमंडल के पहले समूह (सेट) में से, जूरी प्रशासक हर 10 दिनों में महा-जूरीमंडल के किन्हीं 10 सदस्यों को सेवा-निवृत्ति दे देगा/रिटायर कर देगा और क्रमरहित तरीके से/रैंडमली उस जिले की मतदाता-सूची में से 10 नागरिकों का चयन कर लेगा ।
8.
[जूरी प्रशासक]
जूरी प्रशासक किसी यांत्रिक उपकरण (मशीन) का प्रयोग नहीं करेगा किसी संख्या को क्रमरहित तरीके से/रैण्डमली चुनने के लिए। वह मुख्यमंत्री द्वारा विस्तार से बताए गए तरीके से प्रक्रिया का प्रयोग करेगा। यदि मुख्यमंत्री ने किसी विशिष्ठ/खास प्रक्रिया के बारे में नहीं बताया तो वह निम्नलिखित तरीके से चयन करेगा। मान लीजिए, जूरी प्रशासक को 1 और चार अंकों वाली किसी संख्या `क ख ग घ“ के बीच की कोई संख्या चुननी है।
तब जूरी प्रशासक को हर अंक के लिए चार दौर/राउन्ड में डायस/गोटी/पांसा फेंकनी होगी। किसी राउन्ड में यदि अंक, 0-5 के बीच की संख्या से चुना जाना है तो वह केवल एक ही डायस का प्रयोग करेगा और यदि अंक, 0-9 के बीच की संख्या से चुना जाना है तो वह दो डायसों का प्रयोग करेगा। चुनी गई संख्या उस संख्या से 1 कम होगी जो एक अकेले डायस के फेंके जाने पर आएगी और दो डायसों के फेंके जाने की स्थिति में यह 2 कम होगी। यदि डायसों/गोटियों के फेंके जाने से आयी संख्या उसके जरूरत की सबसे बड़ी संख्या से बड़ी है तो वह डायस को दोबारा/फिर से फेंकेगा— उदाहरण – मान लीजिए, जूरी प्रशासक को किसी किताब में से एक पृष्ठ/पेज का चुनाव करना है जिस किताब में 3693 पृष्ठ हैं। वह जूरी प्रशासक चार राउन्ड चलेगा। पहले दौर/राउन्ड में वह एक ही पांसा का प्रयोग करेगा क्योंकि उसे 0-3 के बीच की एक संख्या का चयन करना है।
यदि पांसा 5 या 6 दर्शाता है तो वह पांसा फिर से/ दोबारा फेंकेगा। यदि पांसा 3 दर्शाता है तो चुनी गई संख्या 3-1 = 2 होगी और वह जूरी प्रशासक दूसरे दौर में चला जाएगा। दूसरे दौर में उसे 0-6 के बीच की एक संख्या चुनने की जरूरत होगी। इसलिए वह दो पांसे फेंकेगा। यदि उनका योग 8 से अधिक हो जाता है तो वह दोबारा डायसों/पांसों को फेंकेगा। यदि योग / जोड़ मान लीजिए, 6 आता है तो चुनी गई दूसरी संख्या 6-2 = 4 होगी। इसी प्रकार मान लीजिए, चार दौरों/राउन्ड्स में पांसा 3, 5, 10 और 2 दर्शाता है तो जूरी प्रशासक (3-1), (5-2), (10-2) और (2-1) अर्थात पृष्ठ संख्या 2381 चुनेगा। जूरी प्रशासक को चाहिए कि वह अलग-अलग नागरिकों को पांसा फेंकने के लिए दे। मान लीजिए, मतदाता-सूची में ख किताबें हैं, और सबसे बड़ी किताब में पृष्ठों/पेजों की संख्या `प` है और सभी पृष्ठों में प्रविष्ठियों (एंट्री) की संख्या `त` है तो उपर लिखित तरीके या मुख्यमंत्री द्वारा बताए गए तरीके का प्रयोग करके जूरी प्रशासक 1-ख, 1-प और 1-त के बीच की तीन संख्याओं को क्रमरहित/रैंडम तरीके से चुनेगा। अब मान लीजिए, चुनी गई किताब में उतने अधिक पृष्ठ नहीं हैं अथवा चुने गए पृष्ठ में बहुत ही कम प्रविष्टियां (एंट्री) हैं। तो वह 1-ख, 1-प और 1-त के बीच एक संख्या फिर से चुनेगा ।
9.
[जूरी प्रशासक]
महा–जूरीमंडल प्रत्येक शनिवार और रविवार को बैठक करेंगे। यदि महा-जूरीमंडल के 15 से ज्यादा सदस्य अनुमोदन/स्वीकृति करें तो वे अन्य दिनों में भी मिल सकते हैं। यह संख्या “15 से ज्यादा” उस स्थिति में भी होनी चाहिए जब महा-जूरीमंडल के 30 से भी कम सदस्य मौजूद हों। यदि बैठक होती है तो यह 11 बजे सुबह अवश्य शुरू हो जानी चाहिए और कम से कम 5 बजे शाम तक चलनी चाहिए। महा-जूरीमंडल के सदस्य जिस दिन बैठक में उपस्थति रहेंगे, उस दिन उन्हें 200 रूपए प्रति दिन की दर से वेतन मिलेगा। महा-जूरीमंडल का एक सदस्य एक महीने के अपने कार्यकाल में अधिकतम 2000 रूपए वेतन पा सकता है।
जूरी प्रशासक महा-जूरीमंडल के किसी सदस्य के कार्यकाल/अवधि पूरी कर लेने के 2 महीने के बाद उसे चेक जारी करेगा(स्पष्टीकरण-आंकने के लिए समय देने के लिए इतना समय की जरुरत है) । यदि महा-जूरीमंडल का कोई सदस्य जिले से बाहर जाता है तो उसे वहां रहने का हर दिन 400 रूपए की दर से पैसा मिलेगा और यदि वह राज्य से बाहर जाता है तो उसे वहां ठहरने के 800 रूपए प्रतिदिन के हिसाब से मिलेगा। इसके अतिरिक्त, उन्हें अपने घर और कोर्ट/न्यायालय के बीच की दूरी का 5 रूपए प्रति किलोमीटर की दर से पैसा मिलेगा ।
मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री मुद्रास्फीति/महंगाई की दर के अनुसार क्षतिपूर्ति (मुआवजा) की रकम में परिवर्तन कर सकते हैं। सभी रकम इस कानून में जनवरी, 2008 में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा दिए गए `थोक मूल्य सूचकांक` के अनुसार हैं। और जूरी प्रशासक नवीनतम थोक मूल्य सूचकांक का प्रयोग करके प्रत्येक छह महीनों में धनराशि को बदल सकता है ।
10.
[जूरी प्रशासक]
यदि महा-जूरीमंडल का कोई सदस्य किसी बैठक से अनुपस्थित रहता है तो उसे उस दिन का 100 रूपया नहीं मिलेगा और उसे अपनी भुगतान की जाने वाली राशि से तिगुनी राशि की हानि भी हो सकती है। जो व्यक्ति 30 दिनों के बाद महा-जूरीमंडल के सदस्य होंगे, वे ही जुर्माने के संबंध में निर्णय लेंगे ।
11.
[जूरी प्रशासक]
जूरी प्रशासक बैठक 11 बजे सुबह शुरू कर देगा। जूरी प्रशासक (बैठक के) कमरे में सुबह 10.30 बजे से पहले आ जाएगा। यदि महा-जूरीमंडल का कोई सदस्य सुबह 10.30 बजे से पहले आने में असफल रहता है तो जूरी प्रशासक उसे बैठक में भाग लेने की अनुमति नहीं देगा और उसकी अनुपस्थिति दर्ज कर देगा ।
सैक्शन – 3 : किसी नागरिक पर आरोप तय करना
12.
[जूरी प्रशासक]
कोई व्यक्ति, चाहे वह निजी (आम) आदमी हो चाहे जिला दण्डाधिकारी (प्रोजिक्यूटर), यदि वह किसी अन्य व्यक्ति के खिलाफ कोई शिकायत करना चाहता है तो वह महा-जूरीमंडल के सभी सदस्यों या कुछ सदस्यों को शिकायती पत्र लिखेगा। शिकायतकर्ता से उसे यह भी अवश्य बताना होगा कि वह क्या समाधान चाहता है। ये समाधान इस प्रकार के हो सकते हैं –
- किसी सम्पत्ति पर कब्जा/स्वामित्व प्राप्त करना
- आरोपी व्यक्ति से आर्थिक क्षतिपूर्ति या मुआवजा प्राप्त करना
- आरोपी व्यक्ति को कुछ महीने/साल के लिए कैद की सजा दिलवाना
[जूरी प्रशासक]
यदि महा-जूरीमंडल के 15 से ज्यादा सदस्य किसी बैठक में आने के लिए बुलावा भेजते हैं तो वह नागरिक उपस्थित होगा। महा-जूरीमंडल आरोपी और शिकायतकर्ता को बुला भी सकते हैं या नहीं भी बुला सकते हैं ।
14.
[जूरी प्रशासक]
यदि महा-जूरीमंडल के 15 से ज्यादा सदस्य यह स्पष्ट कर देते हैं कि शिकायत में कुछ दम (मेरिट) है तो जूरी प्रशासक शिकायत की जांच कराने के लिए एक जूरी बुलाएगा जिसमें उस जिले के 12 नागरिक होंगे। जूरी प्रशासक 12 से अधिक नागरिकों का क्रमरहित (रैंडम) तरीके से चयन करेगा (खंड-8 में महा-जूरीमंडल के चुनाव के सामान ही जूरीमंडल का चयन होगा) और उन्हें बुलावा भेजेगा। आनेवालों में से जूरी प्रशासक क्रमरहित तरीके से 12 लोगों का चयन कर लेगा।
[मान लीजिए एक जिले में सौ मामले दर्ज हुए हैं | तो कोई 3000 या अधिक लोगों को बुलावा भेजा जायेगा जब तक उनमें से 2600 लोग न आ जायें, क्योंकि उनमें कुछ मर गए होंगे, कुछ शहर से बहार गए होंगे | ये 2600 लोग क्रमरहित तरीके से 26-26 के 100 समूहों में क्रमरहित तरीके से बांटे जाएँगे , एक मामले के लिए एक समूह | दोंनो पक्ष के वकील उन 26 लोगों में से हरेक व्यक्ति को 20 मिनट इंटरव्यू (साक्षात्कार) लेगा और हर पक्ष का वकील 4 लोगों को बाहर निकाल देगा (इस तरह किसी भी पक्ष को पूर्वाग्र/पक्षपात का बहाना नहीं मिलेगा ) | इस तरह 18 लोगों का जूरी-मंडल होगा जो 12 मुख्य जूरी सदस्य और 6 विकल्प जूरी सदस्य में क्रमरहित तरीके से बांटे जाएँगे |]
15.
[जूरी प्रशासक]
जूरी प्रशासक मुख्य जिला प्रशासक से कहेगा कि वह मुकदमे की अध्यक्षता करने के लिए एक या एक से अधिक जजों की नियुक्ति कर दे। यदि विवादित संपत्ति का मूल्य लगभग 25 लाख से अधिक है अथवा दावा किए गए मुआवजे की राशि 1,00,000 (एक लाख) रूपए से अधिक है अथवा अधिकतम कारावास का दण्ड 12 महीने से अधिक है तो जूरी प्रशासक 24 जूरी-मंडल सदस्य का चुनाव करेगा और उस मुकदमे के लिए मुख्य जज से 3 जजों की नियुक्ति करने का अनुरोध करेगा, नहीं तो वह मुख्य जज से 1 जज की नियुक्ति करने का अनुरोध करेगा। विवादित संपत्ति का मूल्य 50 करोड़ से अधिक होने पर 50-100 जूरी सदस्य और 5 जज होंगे |
यदि मुलजिम के खिलाफ 10 से कम मामले हैं तो, जूरी-सदस्य 12, 10-25 मामले हों तो 24 जूरी सदस्य चुने जाएँगे और 25 से अधिक मामले होने पर 50-100 जूरी सदस्य होंगे| यदि मुलजिम श्रेणी 4 का अफसर है तो 12 जूरी सदस्य, श्रेणी 2 या 3 का होगा तो , 24 जूरी सदस्य होंगे और श्रेणी 4 या अधिक होने पर 50-100 जूरी सदस्य होंगे | इस मामले में नियुक्त किए जाने वाले जजों की संख्या के संबंध में मुख्य न्यायाधीश का फैसला ही अंतिम होगा |
सैक्शन – 4 : सुनवाई/फैसला आयोजित करना
16.
[अध्यक्षता करने वाला जज]
सुनवाई 11 बजे सुबह से लेकर 4 बजे शाम तक चलेगी। सभी 12 जूरी-मंडल (जूरी समूह) और शिकायतकर्ता के आ जाने के बाद ही सुनवाई शुरू की जाएगी । यदि कोई पक्ष उपस्थित नहीं होता है तो जो पक्ष उपस्थित है उसे 3 से 4 बजे शाम तक इंतजार करना होगा और तभी वे घर जा सकते हैं । यदि तीन दिन बिना कारण दिए, कोई पक्ष उपस्थित नहीं होता, तो उपस्थित पक्ष अपनी दलीलें देगा और जूरी तीन दिन और इंतजार करेगी, अनुपस्थित पक्ष को बुलावा देने के पश्चात | यदि फिर भी अनुपस्थित पक्ष बिना कारण दिए नहीं आती, तो जूरी अपना फैसला सुनाएगी |
17.
[अध्यक्षता करने वाला जज]
यह जज शिकायतकर्ता को 1 घंटे बोलने की अनुमति देगा जिसके दौरान कोई अन्य बीच में नहीं बोलेगा । वह जज प्रतिवादी (वह जिसपर मुकदम्मा चलाया जा रहा है) को भी 1 घंटे बोलने की अनुमति देगा जिसके दौरान कोई अन्य व्यक्ति बोलने में बाधा (व्यावधान) पैदा नहीं करेगा। इसी तरह, बारी-बारी से दोनों पक्षों को बोलने देगा | मुकदमा हर दिन इसी प्रकार चलता रहेगा ।
18.
[अध्यक्षता करने वाला जज]
मुकदमा कम से कम 2 दिनों तक चलेगा। तीसरे दिन या उसके बाद यदि 7 से अधिक जूरी सदस्य यह घोषित कर देते हैं कि उन्होंने काफी सुन लिया है तो वह मुकदमा एक और दिन चलेगा। यदि अगले दिन 12 जूरी सदस्यों में से 7 से ज्यादा सदस्य यह घोषित कर देते हैं कि वे और दलीलें सुनना चाहेंगे तो यह मुकदमा तब तक चलता रहेगा जब तक 7 से ज्यादा जूरी सदस्य यह नहीं कह देते कि (अब) मुकदमा समाप्त किया जाना चाहिए ।
19.
[अध्यक्षता करने वाला जज]
अंतिम दिन जब दोनों पक्ष/पार्टी अपनी-अपनी दलील 1 घंटे रख देंगे तो जूरी-मंडल (जूरी समूह) कम से कम 2 घंटे तक विचार-विमर्श करेंगे। यदि 2 घंटे के बाद 7 से ज्यादा जूरी-मंडल (जूरी समूह) कहते हैं कि और विचार-विमर्श की जरूरत नहीं है तो जज (जूरी-मंडल के) प्रत्येक सदस्य से अपना-अपना फैसला बताने के लिए कहेगा ।
20.
[महा-जूरीमंडल]
यदि कोई जूरी सदस्य अथवा कोई एक पक्ष उपस्थित नहीं होता है या देर से उपस्थित होता है तो महा-जूरीमंडल 3 महीने के बाद जुर्माने पर फैसला करेंगे जो अधिकतम 5000 रूपए अथवा अनुपस्थित व्यक्ति की सम्पत्ति का 5 प्रतिशत, जो भी ज्यादा हो, तक हो सकता है ।
21.
[अध्यक्षता करने वाला जज]
जुर्माने (अर्थदण्ड) के मामले में, हर जूरी सदस्य दण्ड की वह राशि बताएगा जो वह उपयुक्त समझता है। और यह कानूनी सीमा से कम ही होनी चाहिए। यदि यह कानूनी सीमा से ज्यादा है तो जज उस राशि या दंड को कानूनी सीमा जितनी ही मानेगा। वह जज दण्ड की राशियों को बढ़ते क्रम में सजाएगा और चौथी सबसे छोटी दण्डराशि को चुनेगा अर्थात उस राशि को जूरी मंडल द्वारा सामूहिक रूप से लगाया गया जुर्माना माना जाएगा जो 12 जूरी सदस्यों में से 8 से ज्यादा सदस्यों ने (उतना या उससे अधिक) अनुमोदित किया हो |
उदहारण - जैसे जूरी-मंडल द्वारा लगायी हुई दण्ड-राशि यदि बदते क्रम में 400,400,500,600,700,700,800,1000,1000,1200,1200 रुपये हैं तो चौथी सबसे छोटी दण्ड-राशि 600 है और बाकी 8 जूरी-मंडल के लोगों ने इससे अधिक दण्ड-राशि का अनुमोदन (स्वीकृति) किया है |
22.
[अध्यक्षता करने वाला जज]
कारावास की सजा के मामले में जज, जूरी-मंडल (जूरी समूह) द्वारा दी गई सजा की अवधि को बढ़ते क्रम में सजाएगा जो उस कानून में लिखित सजा से कम होगा, जिस कानून को तोड़ने का वह आरोपी है। और जज चौथी सबसे छोटी सजा-अवधि को चुनेगा यानि कारावास की वह सजा जो 12 जूरी-मंडल में से 8 से ज्यादा जूरी सदस्यों द्वारा अनुमोदित हो को `कारावास की सजा जूरी-मंडल द्वारा मिलकर तय किया गया` घोषित करेगा ।
सैक्शन – 5 : निर्णय/फैसला, (फैसले का) अमल और अपील
23.
[जिला पुलिस प्रमुख]
जिला पुलिस प्रमुख या उसके द्वारा बताया गया पुलिसवाला, जुर्माना अथवा कारावास की सजा जो जज द्वारा सुनाई गई है और जूरी-मंडल (जूरी समूह) द्वारा दी की गई है, पर अमल करेगा/करवाएगा ।
24.
[जिला पुलिस प्रमुख]
यदि 4 या इससे अधिक जूरी सदस्य किसी कुर्की (जब्ती) अथवा जुर्माने अथवा कारावास की सजा की मांग नहीं करते तो जज आरोपी को निर्दोष घोषित कर देगा और जिला पुलिस प्रमुख उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेगा ।
25.
[आरोपी, शिकायतकर्ता]
दोनो ही पक्षों को राज्य के उच्च न्यायालय अथवा भारत के उच्चतम न्यायालय में फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए 30 दिनों का समय होगा ।
सैक्शन – 6 : नागरिकों के मौलिक / बुनियादी (मूल/प्रमुख) अधिकारों की रक्षा
26.
[सभी सरकारी कर्मचारी]
निचली अदालतों के 12 जूरी सदस्यों में से 8 से अधिक की सहमति के बिना किसी भी सरकारी कर्मचारी द्वारा तब तक कोई अर्थदण्ड अथवा कारावास की सजा नहीं दी जाएगी जब तक कि हाई-कोर्ट अथवा सुप्रीम-कोर्ट के जूरी-मंडल (जूरी समूह) इसका अनुमोदन/स्वीकृति नहीं कर देते। कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी नागरिक को जिला अथवा राज्य के महा-जूरीमंडल के 30 में से 15 से ज्यादा सदस्यों की अनुमति के बिना 24 घंटे से अधिक से लिए जेल में नहीं डालेगा ।
27.
[सभी के लिए]
जूरी सदस्य तथ्यों के साथ-साथ इरादे (मंशा) के बारे में भी निर्णय करेंगे और कानूनों के साथ-साथ संविधान का भी मतलब निकालेंगे ।
28.
–
यह सरकारी अधिसूचना (सरकारी आदेश) तभी लागू (प्रभावी) होगी जब भारत के सभी नागरिकों में से 51 प्रतिशत से अधिक नागरिकों ने इस पर हां दर्ज किया हो और उच्चतम न्यायालय के सभी न्यायाधीशों ने इस सरकारी अधिसूचना (आदेश) का अनुमोदन/स्वीकृति कर दिया हो ।
29.
[जिला कलेक्टर]
यदि कोई नागरिक इस कानून में किसी परिवर्तन (बदलाव) का प्रस्ताव करता है तो वह नागरिक जिला कलेक्टर अथवा उसके क्लर्क से परिवर्तन की मांग करते हुए एक एफिडेविट जमा करवा सकता है। नागरिक जिला कलेक्टर अथवा उसका क्लर्क इसे 20 रूपए प्रति पृष्ठ का शुल्क लेकर एफिडेविट को नागरिक के वोटर आई.डी. नंबर के साथ प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर स्कैन करके डाल देगा ताकि कोई भी उस एफिडेविट को बिना लॉग-इन के पढ़ सके ।
30.
[तलाटी अर्थात पटवारी अर्थात लेखपाल]
यदि कोई नागरिक इस कानून या इस कानून के किसी धारा पर अपना विरोध दर्ज कराना चाहता है अथवा ऊपर बाताई धारा के अनुसार दिए किए गए ऐफिडेविट पर कोई समर्थन दर्ज कराना चाहता है तो वह पटवारी के कार्यालय में 3 रूपए का शुल्क (फीस) जमा करके अपना हां/नहीं दर्ज कर सकता है। पटवारी नागरिकों के हां/नहीं को लिख लेगा और नागरिकों के हां/नहीं को प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर डाल देगा ।
======================
C3. ज्यूरी सदस्यों के आदेश पर बलात्कार और यौन सम्बंधित शिकायतों का पब्लिक में नार्को टेस्ट का ड्राफ्ट
========= कानूनी ड्राफ्ट ========
ये राजपत्र मुख्यमंत्री / प्रधानमंत्री के हस्ताक्षर के बाद लागू होगा
सैक्शन - बहुमत जूरी की सहमति द्वारा नार्को जांच
1)
नागरिक का मतलब यहाँ भारत में पंजीकृत नागरिक-वोटर है, जो 25 साल से अधिक है और 65 साल से नीचे है | जिला जूरी प्रशासक का मतलब यहाँ जिला जूरी प्रशासक जो मुख्यमंत्री द्वारा नियुक्त (भर्ती) होगा या जिला जूरी प्रशासक के द्वारा इन कार्यों के लिए नियुक्त किया गया हो | जिला जूरी प्रशासक नागरिकों के द्वारा बदला जा सकता है (जिला जूरी प्रशासक को बदलने की प्रक्रिया को आगे देखें )
2) जिला जूरी प्रशासक के लिए निर्देश -
निम्नलिखित व्यक्ति अपनी इच्छा से, अपने पर पब्लिक में नार्को जांच करवाने की मांग कर सकते हैं -
. जिले का कोई नागरिक जो किसी अपराध का आरोपी है जिसमें सजा 3 साल से अधिक है
या
कोई नागरिक जो श्रेणी-2 अफसर के पद या उससे ऊपर के पद पर है
या
. कोई नागरिक जो सांसद या विधायक का चुनाव लड़ रहा है
. कोई नागरिक जो सांसद, विधायक या मंत्री रह चूका है
3) जिला जूरी प्रशासक के लिए निर्देश -
यदि ऊपर दिए गए श्रेणी में कोई भी कोई नागरिक अपने ऊपर पब्लिक में नारको जांच की मांग करता है और बहुमत जूरी ने इसके लिए स्वीकृति दे दी है, तो जिला जूरी प्रशासक उस नागरिक का नारको जांच करने के लिए, नागरिक के निवास स्थान वाले राज्य में क्रमरहित तरीके से (रैनडमली) एक न्यायिक प्रयोगशाला को आदेश देगा | कोई भी कोर्ट मामले में बहुमत जूरी के सहमति से नार्को, ब्रेन-मैपिंग, पोली-ग्राफ किया जा सकता है |
4) जिला जूरी प्रशासक के लिए निर्देश -
जिला जूरी प्रशासक 35 और 55 वर्ष के बीच के आयु में, 24 नागरिकों को क्रमरहित तरीके से चुनेगा और बुलाएगा और उन्हें 12 जूरी सदस्यों के दो समूह में बंटेगा | जिला जूरी प्रशासक एक श्रेणी-2 या उससे ऊपर के अफसर को भी नारको जांच करने के लिए नियुक्त करेगा |
5) नारको जांच के प्रभारी के लिए निर्देश -
जब नारको की दवाई का इंजेक्शन लग जाये, तो समूह-क के लोंग प्रश्न बनायेंगे, और यदि समूह-ख में 7 से अधिक लोंग उसको स्वीकृति दे देते हैं ,तो फिर नार्को प्रभारी वो प्रश्न पूछेगा | समूह-क के हरेक व्यक्ति को प्रश्न पूछने के लिए केवल 5 मिनट मिलेंगे |
6) (जूरी सदस्यों के लिए निर्देश) -
जूरी सदस्य ये निर्णय करेंगे कि नार्को जांच निजी हो या सार्वजनिक हो | यदि किसी महिला पीड़ित का नाम गुप्त रखना है, तो फिर पोलीग्राफ, ब्रेन-मैपिंग, नार्को जांच निजी होनी चाहिए और जूरी सदस्य उसे सार्वजानिक नहीं कर सकते | इसके अलावा, नारको जांच सार्वजनिक की जा सकती है |
7) (जूरी सदस्यों के लिए निर्देश) -
यदि समूह-क में कोई व्यक्ति अपना स्थान समूह-ख में किसी व्यक्ति से बदलना चाहता है, तो वो ऐसा कर सकता है | जूरी सदस्यों का बहुमत, जिला जूरी प्रशासक द्वारा बनाये गए विशेषज्ञ (माहिर) दल में से किसी विशेषज्ञ को नार्को जांच के लिए प्रश्न बनाने की स्वीकृति दे सकते हैं | प्रश्नों के बनाने का कार्य केवल दोनों समूहों में जूरी सदस्यों द्वारा किया जायेगा और गुप्त रूप से किया जायेगा | प्रश्न के बनाने के समय जज, वकील, आदि उपस्थित नहीं हो सकते | प्रश्न बनाने का सत्र तब समाप्त होगा जब बहुमत जूरी सदस्य सहमत हों कि प्रश्न बनाने का कार्य अब समाप्त हो |
8) जूरी सदस्यों के लिए निर्देश -
जूरी सदस्यों का बहुमत ये निर्णय करेगा कि कौन से विशेषज्ञ पोलीग्राफ, ब्रेन-मैपिंग और नार्को-जांच का कार्य करवाएंगे | वे इन विशेषज्ञों को जिला जूरी प्रशासक द्वारा चुने गए विशेषज्ञ दल में से चुनेंगे |
9) (जूरी सदस्यों के लिए निर्देश) -
पोलीग्राफ या ब्रेन-मैपिंग या नार्को-जांच में प्रश्नों के प्राप्त उत्तर के आधार पर, समूह-क में कोई जूरी सदस्य या जूरी द्वारा निश्चित विशेषज्ञ नया प्रश्न भी बना सकता है और यदि समूह-ख उस प्रश्न को स्वीकृत करता है, तो जांच प्रभारी उस प्रश्न को पूछेगा | कोई भी प्रश्न समूह-ख के बहुमत जूरी सदस्यों की स्वीकृति के बिना नहीं पूछा जायेगा |
10) (जूरी सदस्यों के लिए निर्देश) -
पोलीग्राफ, नार्को जांच और ब्रेन-मैपिंग - तीनों तरह के जांच में प्राप्त उत्तर को सबूत के रूप में नहीं लिया जायेगा |
11) (पुलिस जांच अफसर के लिए निर्देश) -
मामले की जांच-पड़ताल करने वाला पुलिस अफसर इस जांच में प्राप्त उत्तर के आधार पर आगे जांच करके और सबूत प्राप्त कर सकता है |
12) (नार्को जांच प्रभारी के लिए निर्देश) -
जूरी की स्वीकृति से, नार्को जांच प्रभारी जूरी मुकदमा शुरू होने से पहले भी पोलीग्राफ, ब्रेन-मैपिंग या नारको जाँच करवा सकता है | वो जांच की प्रक्रिया भी पिछले धाराओं में बताई गयी प्रक्रिया के सामान होगी |
13)
बिना जूरी की स्वीकृति से, नार्को जांच नहीं किया जा सकता | यदि आरोपित अपनी सहमति भी दे दे, तो भी नारको-जांच करवाने के लिए बहुमत जूरी सदस्यों की स्वीकृति आवश्यक होगी |
14) नारको जांच प्रभारी के लिए निर्देश -
मीडिया को लाइव प्रसारण के लिए आमंत्रित किया जाएगा यदि जूरी ये निर्णय करती है कि नारको-जांच सार्वजानिक होगा | इस नार्को जांच को रिकॉर्ड किया जाएगा और लाइव प्रसारण और रिकोर्डिंग सरकारी वेबसाईट पर दिखाई जायेगी |
सैक्शन - राइट-टू-रिकॉल जिला जूरी प्रशासक
1.
-
नागरिक शब्द का मतलब (अर्थ) रजिस्टर्ड वोटर (मतदाता) है ।
2.
[जिला कलेक्टर]
यदि भारत का कोई भी नागरिक जिला जूरी प्रशासक बनना चाहता हो और जो 30 वर्ष से अधिक हो, तो वह जिला कलेक्टर के समक्ष, कार्यालय स्वयं अथवा किसी वकील के जरिए एफिडेविट लेकर जा सकता है। जिला कलेक्टर सांसद के चुनाव के लिए जमा की जाने वाली वाली धनराशि के बराबर शुल्क लेकर जिला जूरी प्रशासक पद के लिए उसकी दावेदारी स्वीकार कर लेगा और उसका नाम मुख्यमंत्री वेबसाईट पर रख देगा ।
3.
[तलाटी अर्थात लेखपाल अर्थात पटवारी (अथवा तलाटी का क्लर्क)]
यदि उस जिले का नागरिक तलाटी (पटवारी) के कार्यालय में स्वयं जाकर 3 रूपए का भुगतान करके अधिक से अधिक 5 व्यक्तियों को जिला जूरी प्रशासक के पद के लिए अनुमोदित (पसंद) करता है तो तलाटी उसके अनुमोदन (स्वीकृति) को कम्प्युटर में डाल देगा और उसे उसके मतदाता पहचान-पत्र संख्या, दिनांक-समय और जिन व्यक्तियों के नाम उसने अनुमोदित किए है, उनके नाम, के साथ रसीद देगा ।
4.
[तलाटी]
वह तलाटी नागरिकों की पसंद (प्राथमिकता) को जिले की वेबसाइट पर उनके वोटर आईडी (मतदाता पहचान-पत्र संख्या) और उसकी प्राथमिकताओं के साथ डाल देगा ।
5.
[तलाटी]
यदि कोई नागरिक अपने अनुमोदन (स्वीकृति) रद्द करने के लिए आता है तो तलाटी उसके एक या अधिक अनुमोदनों को बिना कोई शुल्क (फीस) लिए बदल देगा ।
6.
[मुख्यमंत्री द्वारा नियुक्त (भर्ती) अफसर]
प्रत्येक महीने की पांचवी तारीख को मुख्यमंत्री द्वारा नियुक्त अफसर प्रत्येक उम्मीदवार की अनुमोदन (स्वीकृति)-गिनती पिछले महीने की अंतिम तिथि की स्थिति के अनुसार प्रकाशित करेगा (छपेगा) ।
7.
[मुख्यमंत्री]
यदि किसी उम्मीदवार को जिले के सभी दर्ज मतदाताओं के 35 प्रतिशत से ज्यादा नागरिक-मतदाताओं (केवल वे मतदाता ही नहीं जिन्होंने अपना अनुमोदन (स्वीकृति) फाइल किया है बल्कि सभी दर्ज मतदाता) का अनुमोदन (स्वीकृति) मिल जाता है और वर्तमान जिला जूरी प्रशासक के अनुमोदन से उम्मीदवार के अनुमोदन जिले के कुल मतदाता संख्या के 5% से अधिक है, तो मुख्यमंत्री वर्तमान जिला जूरी प्रशासक को हटा सकते हैं या उन्हें ऐसा करने की जरूरत नहीं है और उस सर्वाधिक अनुमोदन (स्वीकृति) प्राप्त उस उम्मीदवार को जिला जूरी प्रशासक के रूप में नियुक्त कर कर सकते हैं या उन्हें ऐसा करने की जरूरत नहीं है। मुख्यमंत्री का निर्णय अंतिम होगा ।
सैक्शन-सी.वी. (जनता की आवाज़)
CV1. (जिला कलेक्टर को निर्देश) यदि कोई नागरिक इस कानून में कोई बदलाव चाहता है तो वह जिला कलेक्टर को एक एफिडेविट (शपथ पत्र) 20 रुपये प्रति पन्ने की फीस के साथ देगा | क्लर्क उस एफिडेविट को नागरिक के वोटर आई.डी. नंबर के साथ प्रधान मंत्री की वेबसाइट पर स्कैन कर देगा, ताकि सभी उसे बिना लॉग-इन के देख सकें |
CV2. (तलाटी उर्फ़ पटवारी उर्फ लेखपाल को निर्देश ) यदि कोई नागरिक इस कानून के मसौदे या इस कानून के किसी धारा के खिलाफ विरोध दर्ज करवाना चाहता है या समर्थन करना चाहता है या उपरोक्त धारा के अनुसार दर्ज एफिडेविट पर विरोध या समर्थन करना चाहता है, तो वह अपनी हाँ या ना 3 रुपये फीस देके पटवारी के ऑफिस में रजिस्टर करवा सकता है | पटवारी उस नागरिक की हाँ / ना दर्ज करेंगे और प्रधान मंत्री की वेबसाइट पर नागरिक के वोटर आई.डी. नंबर के साथ डालेंगे |
नोट ----- मसौदे के आखिर में CV1. और CV2. देखें | इन धाराओं को प्रयोग करके कार्यकर्ता नार्कोटेस्ट कानून में बदलाव ला सकता है | इसके अलावा जिला जूरी प्रशासक अपने विवेक-अधिकार उपयोग कर सकते है | अगर वह अपनी विवेक-अधिकार का दुरूपयोग करे तो नागरिक राइट टू रिकॉल-जिला जूरी प्रशासक की प्रक्रिया का प्रयोग करके नागरिक जिला जूरी प्रशासक को बदल सकते है | इस प्रकार नारको-जांच अधिकारीयों और जिला जूरी प्रशासक को गलत करने से रोक सकते हैं |
===========ड्राफ्ट का अंत ===========
C4. राइट-टू-रिकॉल-जिला पुलिस कमिश्नर (अपने पुलिस-कमिश्नर को किसी भी दिन बदलने का नागरिकों की नागरिक-प्रामाणिक प्रक्रिया-ड्राफ्ट)
धारा संख्या #
[अधिकारी जिसके लिए निर्देश]
प्रक्रिया/अनुदेश
1.
—-
मुख्यमंत्री सरकारी अधिसूचना(आदेश) पर हस्ताक्षर करेंगे ।
2.
[राज्य चुनाव आयुक्त/इलेक्शन-कमिश्नर]
मुख्य मंत्री और नागरिक , राज्य चुनाव आयुक्त से जिला पुलिस प्रमुख का सह-मतदान करवाने की विनती (अनुरोध) करेंगे, जब कभी भी किसी जिले में जिला पंचायत, तहसील पंचायत, ग्राम पंचायत अथवा नगर निगम अथवा जिला भर में जिला स्तर का कोई भी आम चुनाव चल रहा हो।
3.
[राज्य चुनाव आयुक्त]
यदि कोई भारतीय नागरिक पिछले 3000 दिनों में 2400 से अधिक दिनों के लिए जिला पुलिस प्रमुख नहीं रहा हो, 30 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी भारतीय नागरिक जिसने 5 वर्षों से अधिक समय तक सेना में काम किया हो, पुलिस में एक भी दिन काम किया हो, सरकारी कर्मचारी के रूप में 10 वर्षों तक काम किया हो अथवा उसने राज्य लोक सेवा आयोग या संघ लोक सेवा आयोग की लिखित परीक्षा पास की हो, अथवा सिर्फ विधायक या सांसद या पार्षद या जिला पंचायत के सदस्य का चुनाव जीता हो, वह जिला पुलिस प्रमुख के उम्मीदवार के रूप में अपने को दर्ज करवा सकेगा |
4.
[राज्य चुनाव आयुक्त]
राज्य चुनाव आयुक्त जिला पुलिस प्रमुख के चुनाव के लिए एक मतदान पेटी रखवा देगा ।
5.
[नागरिक]
कोई भी नागरिक–मतदाता उम्मीदवारों में से किसी को भी वोट दे सकता है ।
6.
[मुख्यमंत्री]
यदि कोई उम्मीदवार जिले के सभी दर्ज नागरिक-मतदाताओं (सभी, न कि केवल उनका जिन्होंने वोट दिया है) के 50 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं का मत/वोट प्राप्त कर लेता है तो मुख्यमंत्री त्यागपत्र (इस्तीफा) दे सकते हैं अथवा सबसे अधिक मत प्राप्त करने वाले उस व्यक्ति को उस जिले में अगले 4 वर्ष के लिए नया जिला पुलिस प्रमुख नियुक्त (भर्ती) कर सकते हैं ।
7.
[मुख्यमंत्री]
मुख्यमंत्री एक जिले में अधिक से अधिक एक व्यक्ति को जिला पुलिस प्रमुख बना सकते हैं ।
8.
[मुख्यमंत्री]
यदि कोई व्यक्ति पिछले 3000 दिनों में 2400 से अधिक दिनों के लिए जिला पुलिस प्रमुख रह चुका हो तो मुख्यमंत्री उसे अगले 600 दिनों के लिए जिला पुलिस प्रमुख के पद पर रहने की अनुमति नहीं देंगे ।
9.
[मुख्यमंत्री, राज्य के नागरिकगण]
राज्य के सभी नागरिक मतदाताओं के 51 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं के अनुमोदन/स्वीकृति से मुख्यमंत्री किसी जिले में इस कानून को 4 वर्षों के लिए हटा (निलंबित कर) सकते हैं और अपने विवेकाधिकार (मर्जी) से उस जिले में जिला पुलिस प्रमुख की नियुक्ति कर सकते हैं (रख सकते हैं) ।
10.
[प्रधानमंत्री, भारत के नागरिक]
भारत के सभी नागरिक मतदाताओं के 51 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं के अनुमोदन/स्वीकृति से प्रधानमंत्री किसी राज्य में इस कानून को 4 वर्षों के लिए हटा सकते हैं और अपने विवेक/अधिकार से उस राज्य के सभी जिलों में जिला पुलिस प्रमुख की नियुक्ति कर सकते हैं।
11. जनता की आवाज़ (सी वी ) 1
[जिला कलेक्टर (डी सी)]
यदि कोई नागरिक इस कानून में किसी परिवर्तन का प्रस्ताव करना चाहता है तो वह नागरिक जिला कलेक्टर अथवा उसके क्लर्क के पास इस परिवर्तन की मांग करने वाला एक एफिडेविट जमा करवा देगा । जिला कलेक्टर अथवा उसका क्लर्क 20 रूपए प्रति पेज का शुल्क लेकर एफिडेविट को नागरिक के वोटर आई.डी नंबर के साथ प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर स्कैन कर देगा ताकि बिना लॉग-इन सब उसको देख सकें ।
12. जनता की आवाज़ (सी वी ) 2
[तलाटी यानि पटवारी/लेखपाल]
यदि कोई नागरिक इस कानून या इसके किसी धारा के विरूद्ध अपना विरोध दर्ज कराना चाहे अथवा वह ऊपर के धारा में प्रस्तुत किसी एफिडेविट (हलफनामा) पर अपना समर्थन दर्ज कराना चाहे तो वह पटवारी के कार्यालय में आकर 3 रूपए का शुल्क (फीस) देकर हां/नहीं दर्ज करवा सकता है । तलाटी हां-नहीं दर्ज कर लेगा और उस नागरिक के हां–नहीं को नागरिक के वोटर आई.डी. नम्बर के साथ प्रधानमंत्री की वेबसाईट पर भी डाल देगा ।
C5. राइट-टू-रिकॉल – जिले का प्रधान जज (अपने जिले के प्रधान जज को किसी भी बदलने का नागरिकों की नागरिक-प्रामाणिक प्रक्रिया-ड्राफ्ट)
धारा संख्या #
[अधिकारी जिसके लिए निर्देश]
प्रक्रिया/अनुदेश
1. `नागरिक` शब्द का अर्थ जिले का पंजीकृत मतदाता होगा |
2. [कलेक्टर के लिए निर्देश] यदि भारत का कोई नागरिक जो 35 साल से अधिक हो और जिसके पास एल.एल.बी की शैक्षिक उपाधि ((डिग्री) हो और जिले का प्रधान जज बनना चाहता है, तो वो स्वयं या उसके वकील द्वारा एफिडेविट के साथ जिला कमिश्नर (या उसके द्वारा नियुक्त (रखा) अफसर) के दफ्तर आये, तो जिला कमिश्नर (या उसके द्वारा नियुक्त अफसर) सांसद के चुनाव के लिए जमा की जाने वाली वाली धनराशि के बराबर शुल्क लेकर, उसकी जिले का प्रधान जज उम्मीदवार बनने की अर्जी को स्वीकार करेगा | जिला कलेक्टर या उसका क्लर्क उम्मीदवारों के नाम मुख्यमंत्री वेबसाईट पर रखेगा |
3. [तलाटी या तलाटी के क्लर्क के लिए निर्देश] यदि उस जिले का नागरिक तलाटी (पटवारी) के कार्यालय में स्वयं जाकर 3 रूपए का भुगतान करके अधिक से अधिक 5 व्यक्तियों को जिला सरकारी वकील के पद के लिए अनुमोदित (पसंद) करता है तो तलाटी उसके अनुमोदन (पसंद) को कम्प्युटर में डाल देगा और उसे उसका मतदाता पहचान-पत्र, दिनांक और समय, और जिन व्यक्तियों के नाम उसने अनुमोदित किए है, उनके नाम, के साथ रसीद देगा ।
4. [तलाटी के लिए निर्देश] वह तलाटी नागरिकों की पसंद को जिले के वेबसाइट पर उनके मतदाता पहचान-पत्र और उनकी प्राथमिकताओं (पसंद) के साथ डाल देगा ।
5. [तलाटी के लिए निर्देश] यदि कोई नागरिक अपनी स्वीकृति (पसंद) रद्द करने के लिए आता है तो तलाटी उसके एक या अधिक अनुमोदनों (पसंद) को बिना कोई शुल्क (फीस) लिए रद्द कर देगा ।
6. [कलेक्टर के लिए निर्देश] प्रत्येक महीने की पांचवी तारीख को जिला कलेक्टर प्रत्येक उम्मीदवार की अनुमोदन (स्वीकृति)-गिनती पिछले महीने की अंतिम तिथि की स्थिति के अनुसार प्रकाशित करेगा ।
7. [हाई कोर्ट प्रधान जजों के लिए निर्देश] यदि किसी उम्मीदवार को जिले के सभी मतदाताओं के 35% से अधिक अनुमोदन (पसंद) मिलते हैं (सभी, न कि केवल जिन्होंने अपने अनुमोदन दिए हैं), और वे अनुमोदन वर्तमान जिला प्रधान जज के अनुमोदनों से जिले के मतदाता संख्या के 5% से अधिक है, तो हाई कोर्ट के प्रधान जज उसे जिले का प्रधान जज नियुक्त (भर्ती) कर सकते हैं |
8. [मुख्यमंत्री के लिए निर्देश] जब तक जिला सरकारी वकील के पास जिले के 34% से अधिक मतदातों का अनुमोदन (पसंद ; स्वीकृति) है, मुख्यमंत्री उसको बदलेगा नहीं | लेकिन यदि जिला सरकारी वकील के अनुमोदन 34% से कम हो जाते हैं, तो मुख्यमंत्री उसको अपने पसंद के अफसर से बदल देगा |
9. (जिले के प्रधान जज के लिए निर्देश) जिले का प्रधान जज, हाई कोर्ट के प्रधान जज की स्वीकृति (समर्थन) से या पारदर्शी शिकायत-प्रस्ताव प्रणाली का उपयोग करके उस राज्य के नागरिकों की स्वीकृति से, अपने प्रस्तावित जूरी सिस्टम के ड्राफ्ट को लागू करने का निर्णय कर सकता है | (देखें धारा 10 और 11)
10. जनता की आवाज़ (सी वी ) 1
[जिला कलेक्टर (डी सी)]
यदि कोई नागरिक इस कानून में किसी परिवर्तन का प्रस्ताव करना चाहता है तो वह नागरिक जिला कलेक्टर अथवा उसके क्लर्क के पास इस परिवर्तन की मांग करने वाला एक एफिडेविट जमा करवा देगा । जिला कलेक्टर अथवा उसका क्लर्क 20 रूपए प्रति पेज का शुल्क लेकर एफिडेविट को नागरिक के वोटर आई.डी. नंबर के साथ प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर स्कैन कर देगा ताकि बिना लॉग-इन सब उसको देख सकें ।
11. जनता की आवाज़ (सी वी ) 2
[तलाटी यानि पटवारी (लेखपाल)]
यदि कोई नागरिक इस कानून या इसके किसी धारा के विरूद्ध अपना विरोध दर्ज कराना चाहे अथवा वह उपर के धारा में प्रस्तुत किसी एफिडेविट (हलफनामा) पर अपना समर्थन दर्ज कराना चाहे तो वह पटवारी के कार्यालय में आकर 3 रूपए का शुल्क देकर हां/नहीं दर्ज करवा सकता है । तलाटी हां-नहीं दर्ज कर लेगा और उस नागरिक के हां–नहीं को नागरिक के वोटर आई.डी. नम्बर के साथ प्रधानमंत्री की वेबसाईट पर भी डाल देगा ।
C6. राइट-टू-रिकॉल-सेंसर बोर्ड अध्यक्ष (सेंसर बोर्ड अध्यक्ष, जो फिल्म आदि में काट-छांट करता हैं) को किसी भी दिन बदलने का नागरिकों की नागरिक-प्रामाणिक प्रक्रिया)
========= ड्राफ्ट की शुरुआत =======
1. नागरिक शब्द एक पंजीकृत मतदाता होगा।
2. ( जिला कलेक्टर को निर्देश ) … अगर कोई मतदाता सेंसर बोर्ड अध्यक्ष (चैयरमेन) बनाना चाहता है तो वह व्यक्ति जिला कलेक्टर के सामने स्वयं या किसी वकील के माध्यम से एफिडेविट (शपथ पत्र) के साथ उपस्थित होगा | कलेक्टर या उसके द्वारा नियुक्त (रखा हुआ) व्यक्ति अर्जी स्वीकार करके जमा राशि लेगा और उसका नाम `सेंसर बोर्ड अध्यक्ष (चैयरमेन) उम्मीदवार` के रूप में प्रधानमंत्री की वेबसाईट पर रखेगा | जमा राशि सांसद के चुनाव के लिए दी जाने वाली राशि के सामान होगी |
3. ( तलाटी (= लेखपाल = पटवारी) या तलाटी के क्लर्क को निर्देश ) … उस जिले का नागरिक अगर तलाटी के कार्यालय में आकर, 3 रूपया शुल्क (फीस) देकर, सेंसर बोर्ड चैयरमेन के उम्मीदवारों में से अधिकतम 5 नामों के लिए मंजूरी देगा तो तलाटी उन नागरिक की राय कंप्यूटर में दर्ज करके उस मतदाता को एक रसीद देगा जिसमें नागरिक की वोटर आईडी, समय-तारीख और पसंद किये गए उम्मीदवारों के नाम होंगे | बाद में, इस सिस्टम में एस.एम.एस. भेजने का सिस्टम डाला जा सकता है, जिससे एक बार राय देने का खर्च नागरिक को 10 पैसे होगा |
4 (तलाटी को निर्देश ) … तलाटी नागरिकों की राय जिले की वेबसाइट पर उनके मतदाता पहचान पत्र संख्या के साथ रखेगा |
5 ( तलाटी को निर्देश ) … अगर नागरिक किसी स्वीकृति को रद्द करने आता है तो तलाटी बिना कोई फीस लिए उसकी मंजूरी में से एक या अधिक नाम रद्द कर देगा |
6 . ( कैबिनेट सचिव को निर्देश ) ... हर महीने की 5 तारीख को कैबिनेट सचिव नागरिकों की राय प्रधानमंत्री वेबसाइट पर जारी करेगा | यह राय पिछले महीने की आखिरी तारीख तक की होगी |
7. ( प्रधान मंत्री को निर्देश ) … अगर किसी उम्मीदवार को प्रधानमंत्री वेबसाइट पर सभी नागरिकों के 35 % समर्थन मिलते हैं (सभी, न कि केवल जिन्होंने अपना अनुमोदन दिया है) और वर्तमान अध्यक्ष से 1% अधिक समर्थन मिलते हैं, तो प्रधान मंत्री चाहे तो वर्तमान सेंसर बोर्ड अध्यक्ष को हटाकर, नागरिकों द्वारा चुने गए उम्मीदवार को सेंसर बोर्ड अध्यक्ष बना सकते हैं या प्रधानमंत्री को ऐसा करने की कोई आवश्यकता नहीं | प्रधान मंत्री का फैसला अंतिम होगा |
8. जनता की आवाज धारा 1 ( जिला कलेक्टर को निर्देश ) … अगर कोई नागरिक इस कानून या इसकी कोई धारा में बदलाव चाहता है तो वह अपना 20 रुपये प्रति पन्ने के एफिडेविट (शपथ पत्र/हलफनामा) को जिला कलेक्टर के सामने रखेगा | क्लर्क उस एफिडेविट को नागरिक के वोटर आई.डी. नंबर के साथ प्रधान मंत्री की वेबसाइट पर स्कैन करेगा ताकि उसको बिना लॉग-इन के सभी देख सकें |
9. जनता की आवाज धारा 2 ( पटवारी ( = लेखपाल = तलाटी ) को निर्देश ) … अगर कोई नागरिक इस क़ानून पर या इस क़ानून के किसी धारा पर अपना विरोध दर्ज करवाना चाहता है या इससे पहले वाले धारा के अनुसार दर्ज एफिडेविट के किसी धारा पर अपनी हाँ या ना दर्ज करवाना चाहता है, तो वह तलाटी के ऑफिस में वोटर आई.डी के साथ आएगा, 3 रूपया फीस देगा और अपनी हां ना दर्ज करवाएगा | तलाटी उसे एक रसीद देगा और नागरिक की हाँ / ना को प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर, नागरिक के वोटर आई.डी. नम्बर के साथ डालेगा |
======= ड्राफ्ट का अंत ===============
C7. राइट-टू-रिकॉल – मुख्यमंत्री का कानून-ड्राफ्ट (अपने मुख्यमंत्री को किसी भी दिन बदलने का आम-नागरिकों की नागरिक-प्रामाणिक प्रक्रिया)
===== प्रस्तावित राइट-टू-रिकॉल-मुख्यमंत्री राज्य राजपत्र ड्राफ्ट का आरम्भ =====
1. [सामान्य जानकारी]
नागरिक शब्द का मतलब रजिस्टर्ड वोटर (मतदाता) है।
2. [जिला कलेक्टर को निर्देश]
30 वर्ष से अधिक उम्र का कोई भी नागरिक जो मुख्यमंत्री बनना चाहता हो वह जिला कलेक्टर के सामं, कलेक्टर के कार्यालय जा सकता है। जिला कलेक्टर विधायक के चुनाव के लिए जमा की जाने वाली वाली धनराशि के बराबर शुल्क लेकर उसे एक सीरियल नम्बर जारी करेगा और उस उम्मीदवार का नाम मुख्यमंत्री वेबसाईट पर रखेगा ।
3. [तलाटी अर्थात लेखपाल अर्थात पटवारी (अथवा तलाटी का क्लर्क)]
भारत का कोई भी नागरिक पटवारी के कार्यालय में जाकर 3 रूपए का भुगतान करके अधिक से अधिक 5 व्यक्तियों को मुख्यमंत्री के पद के लिए अनुमोदित कर सकता है। तलाटी उसके अनुमोदन (स्वीकृति) को कम्प्युटर में डाल देगा और उसे उसके वोटर आईडी (मतदाता पहचान-पत्र), दिनांक और समय, और जिन व्यक्तियों के नाम उसने अनुमोदित किए है, उनके नाम, के साथ रसीद देगा । (गरीबी रेखा से नीचे) बी पी एल कार्डधारकों के लिए शुल्क/फीस 1 रूपया होगी। यदि कोई नागरिक अपने अनुमोदन (स्वीकृति) रद्द करने के लिए आता है तो तलाटी उसके एक या अधिक अनुमोदनों को बिना कोई शुल्क लिए रद्द कर देगा।
4. [तलाटी के लिए निर्देश]
वह तलाटी नागरिकों की पसंद (प्राथमिकता) को मुख्यमंत्री के वेबसाइट पर उनके वोटर आईडी नंबर (मतदाता पहचान-पत्र संख्या) और उसकी प्राथमिकताओं के साथ डाल देगा ।
5. [जिला कलेक्टर के लिए निर्देश]
हर सोमवार को हर जिला का कलेक्टर हरेक उम्मीदवार की अनुमोदन (स्वीकृति)-गिनती को प्रकाशित करेगा। .
6. [मुख्यमंत्री के लिए निर्देश]
आज का मुख्यमंत्री अपनी अनुमोदन (स्वीकृति) – गिनती को निम्नलिखित दो से जो ज्यादा है, उसको मान सकता है –
- नागरिकों की संख्या जिन्होंने उसका अनुमोदन (स्वीकृति) किया है
- मुख्यमंत्री का समर्थन करने वाले विधायकों द्वारा प्राप्त किए गए मतों का योग
7. [मुख्यमंत्री के लिए निर्देश]
यदि किसी व्यक्ति को मौजूदा मुख्यमंत्री के मुकाबले (सभी रजिस्टर्ड मतदाताओं के) 2 प्रतिशत ज्यादा अनुमोदन (स्वीकृति) प्राप्त है तो वर्तमान (आज का) मुख्यमंत्री इस्तीफा दे सकता है और विधायकों से कह सकता है कि वे सबसे अधिक अनुमोदन (स्वीकृति) प्राप्त व्यक्ति को नया मुख्यमंत्री बना दें ।
8. [विधायकगण के लिए निर्देश]
विधायकगण धारा 7 में बताये गए व्यक्ति मत्लाग्ब सबसे अधिक अनुमोदन (स्वीकृति) प्राप्त मुख्यमंत्री उम्मीदवार को नया मुख्यमंत्री बना सकते हैं।
सैक्शन- सी.वी. (जनता की आवाज)
9. सी वी – 1 [जिला कलेक्टर के लिए निर्देश]
यदि कोई नागरिक इस कानून में कोई बदलाव चाहता है तो वह जिलाधिकारी (डी सी) के कार्यालय में जाकर एक एफिडेविट जमा करा सकता है और डी सी या उसका क्लर्क उस एफिडेविट को 20 रूपए प्रति पेज का शुल्क (फीस) लेकर नागरिक के वोटर आई.डी. नम्बर के साथ मुख्यमंत्री की वेबसाईट पर स्कैन कर देगा ताकि बिना लॉग-इन उसको कोई भी देख सके ।
10. सी वी – 2 [तलाटी अर्थात पटवारी अर्थात लेखपाल के लिए निर्देश]
यदि कोई नागरिक इस कानून या इसकी किसी धारा के विरूद्ध अपना विरोध दर्ज कराना चाहे अथवा वह उपर के धारा में प्रस्तुत किसी एफिडेविट पर हां – नहीं दर्ज कराना चाहे तो वह अपने वोटर आई कार्ड के साथ तलाटी के कार्यालय में आकर 3 रूपए का शुल्क (फीस) देगा । तलाटी हां-नहीं दर्ज कर लेगा और उसे एक रसीद देगा। पटवारी या उसका क्लर्क हां – नहीं को नागरिक के वोटर आई.डी. नंबर के साथ मुख्यमंत्री की वेबसाईट पर डाला जाएगा ।
===== प्रस्तावित राइट-टू-रिकॉल-मुख्यमंत्री भारतीय राजपत्र ड्राफ्ट समाप्त =====
C8. राइट-टू-रिकॉल – विधायक का कानून-ड्राफ्ट (अपने विधायक को किसी भी दिन बदलने का आम-नागरिक की नागरिक-प्रामाणिक प्रक्रिया
=== राइट-टू-रिकॉल विधायक प्रस्तावित ड्राफ्ट का आरम्भ ====
1. (1.1) शब्द `नागरिक` का मतलब रजिस्ट्रीकृत मतदाता है |
(1.2) शब्द “कर सकता है “ का मतलब कोई भी नैतिक-कानूनी बंधन नहीं है | इस का मतलब “ कर सकता है “ या “करने की जरूरत नहीं है “ है |
2. [जिला कलेक्टर को निर्देश]
प्रधानमंत्री जिला कलेक्टर को निर्देश देते हैं कि यदि भारत का कोई नागरिक जिला कलेक्टर के दफ्तर आता है और विधायक के लिए उम्मीदवार बनना चाहता है, तब जिला कलेक्टर , विधायक-चुनाव के जमा-राशि जितना शुल्क (फीस) लेगा और उस व्यक्ति को `विधायक उम्मीदवार` घोषित करेगा | जिला कलेक्टर एक सीरियल नंबर (क्रम संख्या) देगा और उसका नाम प्रधान मंत्री के वेबसाइट पर डालेगा |
3. [तलाटी अर्थात पटवारी अर्थात लेखपाल या (उसके क्लर्क) को निर्देश]
(3.1) प्रधानमंत्री पटवारी (या तलाटी या गाँव का अधिकारी ) को निर्देश देगा कि नागरिक यदि खुद पटवारी के दफ्तर आता है, रु. 3 शुल्क (फीस) देता है, और कम से कम पांच व्यक्तियों को अनुमोदन देता है विधायक के पद के लिए, तो पटवारी उसके पसंद (अनुमोदन) कंप्यूटर में डालेगा और उसको एक रसीद देगा, जिसमें लिखा होगा - उसकी वोटर आई.डी संख्या, तारीख-समय और जिन उम्मीदवारों को उसने पसंद किया है |
(3.2) यदि पटवारी के पास कंप्यूटर आदि नहीं है, तब जिला कलेक्टर इस कार्य को तहसीलदार के दफ्तर को देगा, जब तक कि पटवारी को कंप्यूटर, आदि नहीं मिलता इस कार्य को करने के लिए |
(3.3) जिला कलेक्टर एक एस.एम.एस फीडबैक सिस्टम बना सकता है जो `क्रेडिट कार्ड लेन-देन` के फीडबैक सिस्टम के समान होगा |
(3.4) जिला कलेक्टर उपकरण (मशीन) पटवारी को देगा, जो फोटो और अंगुली की छाप लेगा और रसीद देगा नागरिक के अंगुली की छाप और फोटो के साथ |
4. [तलाटी अर्थात पटवारी अर्थात लेखपाल या (उसके क्लर्क) को निर्देश]
पटवारी नागरिकों के अनुमोदन (पसंद) प्रधानमंत्री के वेबसाइट पर रखेगा, नागरिक के वोटर आई.डी. नंबर और उन उम्मीदवारों के नाम, जिनको उसने अनुमोदन (पसंद) किया है |
5. [तलाटी अर्थात पटवारी अर्थात लेखपाल या (उसके क्लर्क) को निर्देश]
यदि वोटर अपने अनुमोदन रद्द करने आता है, तो तलाटी एक या अधिक अनुमोदन (पसंद) को बिना कोई फीस लिए रद्द कर देगा |
6. [विधायक को निर्देश]
यदि कोई दूसरा (वैकल्पिक) उम्मीदवार को अनुमोदन (स्वीकृति) मिल जाती हैं जो इन में से कम है -
(6.1) वर्तमान (आज के) विधायक के वोटों की गिनती से (सभी मतदाताओं के ) 20% अनुमोदन (स्वीकृति) से अधिक है
या
(6.2) उस चुनाव-क्षेत्र के सभी मतदाताओं के 50% से ज्यादा अनुमोदन (स्वीकृति) हों , और साथ ही में वर्तमान विधायक के प्राप्त अनुमोदन से (मतदाता की कुल संख्या का) 10% अनुमोदन/स्वीकृति ज्यादा हों |
तो, वर्तमान (आज का) विधायक अपना इस्तीफा 7 दिन में दे सकता है या उसे ऐसा करने की जरूरत नहीं है |
7. [विधानसभा अध्यक्ष, विधायक को निर्देश]
(7.1) यदि वर्तमान (आज का) विधायक 7 दिनों में इस्तीफा नहीं देता है, तो लोकसभा अध्यक्ष प्रस्ताव बुला सकता है संसद में, उस विधायक को निकालने के लिए या ऐसा करना उसके लिए नहीं जरूरी है | विधानसभा अध्यक्ष का फैसला अंतिम होगा |
(7.2) दूसरे विधायक, उस विधायक को निकालने के लिए प्रस्ताव स्वीकृत कर सकते हैं या उन्हें ऐसा करने के लिए कोई जरूरत नहीं है |
8. [चुनाव आयोग(देश में चुनाव कराने वाली सरकारी संस्था ) को निर्देश]
(8.1) यदि विधायक इस्तीफा देता है या निकाला जाता है, तो चुनाव आयोग नया चुनाव करवायेगी, कायदे के अनुसार | अगले चुनाव में, जो विधायक निकाला गया है, वो चुनाव लड़ सकता है |
(8.2) धारा-6 के प्रयोजन के लिए, मतदाताओं के अनुमोदन (स्वीकृति) जिन्होनें चुनाव के घोषित होने के बाद अपना नाम दर्ज (रेजिस्टर) किया है , वे नहीं गिने जाएँगे | हर चुनाव-क्षेत्र की मतदातों की सही संख्या चुनाव आयोग द्वारा प्रकाशित की जायेगी और चुनाव-आयोग का फैसला आखरी होगा |
9. जनता की आवाज़-1 (सी वी – 1) [जिला कलेक्टर को निर्देश]
यदि कोई भी नागरिक इस कानून में बदलाव चाहता हो तो वह जिला कलेक्टर के कार्यालय में जाकर एक ऐफिडेविट (शपथपत्र) दे सकता है और जिला कलेक्टर या उसका क्लर्क इस ऐफिडेविट को 20 रूपए प्रति पन्ने की फीस लेकर नागरिक के वोटर आई.डी. नंबर के साथ प्रधानमंत्री की वेबसाईट पर स्कैन करेगा ।
10. जनता की आवाज़-2 (सी वी – 2) [तलाटी अर्थात पटवारी अर्थात लेखपाल को निर्देश]
यदि कोई भी नागरिक इस कानून अथवा इसकी किसी धारा पर अपनी आपत्ति दर्ज कराना चाहता हो अथवा उपर के धारा में प्रस्तुत किसी भी ऐफिडेविट (शपथपत्र) पर हां/नहीं दर्ज कराना चाहता हो तो वह अपना मतदाता पहचानपत्र (वोटर आई डी) लेकर तलाटी के कार्यालय में जाकर 3 रूपए की फीस जमा कराएगा। तलाटी हां/नहीं दर्ज कर लेगा और उसे इसकी रसीद देगा। इस हां/नहीं को नागरिक के वोटर आई.डी. नंबर के साथ प्रधानमंत्री की वेबसाईट पर नागरिक के वोटर आई.डी. नंबर के साथ डाल दिया जाएगा ।
11. [प्रधानमंत्री के लिए निर्देश]
यदि भारत के कम से कम 40 करोड़ नागरिक-मतदाता सहमति देते हैं, तो प्रधानमंत्री राज्य में इस कानून-ड्राफ्ट को 5 वर्ष के लिए हटा सकता है |
=== राइट-टू-रिकॉल विधायक प्रस्तावित ड्राफ्ट का अंत ====